बर्फ का संसार | Barf Ka Sansar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ बफ का संसार वापस लौटना पड़ा । सन्‌ १६६२ मे मेजर डियास के नेतृत्व में दूसरा भारतीय दल २७,९०० फुट की ऊँचाई तक पहुँच गया । यह पवंतारोही दल प्रतिक्ल मौसम के विरुद्ध संघ करता रहा । शिखर पर पहुँचने के लिए श्रवसर की प्रतीक्षा में उसे तीन रात लगभग श्रट्टाइस हज़ार की पंचाई पर बितानी पड़ीं । विश्व के पवेतारोहण के इतिहास मे यह्‌ श्रभूत- पूवं श्रनुभव हे । हिमालय के अचे शिखरो पर श्रारोहण के साथ-साथ श्रव करतु, भ्रुः . विज्ञान तथा मानवीय व्यवहार-उपचार सम्बन्धी बातो पर भी ध्यान दिया जाने लगा है । इसी उदेश्य के हतु सन्‌ १९६३ मे एवरेस्ट श्रारोहण करने वाले तीन श्रमरीकौ पवंतारोही दलों को शिखर तक पहुंचने की भी सफलता प्राप्त हुई है । पहले दल में जेग्स विटाकर श्रौर तेनजिंग के भतीजे शेरपा नावांग गोम्द्ू थे । दूसरे में बरी विशप श्रौर लूथर जसंटेड । तीसरे दल के विलियम अ्रनसोल्ड ग्रौर होनेविन को २२ मई के दिन पहली बार पश्चिमी रिजिमागंसे संसारके इस सर्वोच्च शिखर पर चद्नेका महान श्रेय श्राप्त हुश्रा।




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