दयानन्द की बुद्धि | Dayanand Ki Budhi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
396 KB
कुल पष्ठ :
18
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| ८ ९५ ).
~~~ टटटएआसटल्य
जो कस शास्त्र विरूद्ध अन्यथा लेख कराया सो कराय
परन्तु यह मदाशोक है कि वेदोंको स्प कल्पि शर
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, पंष्ठ-प४६ जो दग्रे नतव कि जिनमें हलर करोह
सव्य हयं कूंठा बतलावे प्र अपने चसो सच्चा उसे
परे मूठ दूनेरप कौन नत दो सकता है, इति, यधश्री
श्वरान्ति ने यह क्वः ऊटपटाग हवया उसके दयसे
उच्तका चर दलाय सय नगेको च्चा ठहराया पीर
-्नपने भरे नतको आप भ्ूंठा बताया ! शायद जपने
किये खे पद्ताया तपूव अन्तमं यह चपवाया स्ति
जो दूसरे सतों को कि जिनमें हजारों करोड़ों रुलण्य
हों भंठा नदलावे ौर छापने को सच्चा उससे परे
मठर दख सत कौन होसक्ला & दत्त सेखते स्वम-
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अरसरस्से चेलॉंस्सी समसमर्मे उसका श्ाशय - सिर सी ना
अप्या या यूं कद्टिये कि कलियुग से अपन प्रसाव दि-
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षो फिर वढ़इया 1
पष्ठ ५८८ अविद्वान. को अद्र पपिः रच
ऋअन्चषरि्यो को पिशणग्च मानता हं इति, आजकल नजो
कोई समएजसें चलप जतः ईै. वह ज्ये ह कहाता है
मर्यो श रंत्लसालाके पृष्ठ ९९ सें जो साय का लक्णा
झ्पा है वेचा तो कोद निरल है! भयः सौर हों
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