कविवर बुलाखीचन्द बुलाकीदास एवं हेमराज | Kavivar Bulakhichand Bulakidas Evm Hemaraj

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Kavivar Bulakhichand Bulakidas Evm Hemaraj by कस्तूरचंद कासलीवाल - Kasturchand Kasleeval

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(क) इस भाग के दुसरे कवि बुलाकोदास है जिनका पाण्डववुराण भत्यधिक लोक- प्रिय प्रथ माना जाता है । बुलाकीदास ने पाण्डवपुराण एवं प्रश्नो्तरश्नावकालार- दोनो ही ग्रन्थो का निर्माण श्रपनी माता जैमुलदे कं प्रेरणा से किया था । सारे साहित्यिक जगत्‌ मे पड़िता जैनुलदे जैसी भ्रादशं एवं स्वाध्यायशीला महिला का मिलना कठिन है । बुलाकीदास का पाण्डवपुराण काव्य की दृष्टि से भी एक सुन्दर कृति है जिसमे महाभारत के पात्रों का बहुत ही उत्तम रीति से बररांन हुमा है । एक जैन कवि के द्वारा युद्ध का इतना सागोपांग वर्णन अन्य काव्यो मे मिलना कठिन हैं । इस भाग के तीसरे कबि है पाण्डें हेमराज । लेकिन ट्वेमराज एक कवि ही नहीं है । एक समय मे हेमराज नामके चार कवि मिलते हैं जिनमे दो तो बहुत उच्चश्रेणी के कवि है । हेमराज पाण्डे का नाम हम सब जानते ध्रवश्य हैं लेकिन उनके काव्यो की महत्ता एव कला से श्रनभिज्ञ रहे है । हेमराज प्राचायं कुन्द-कुन्द के बड़े भागी भक्त थे इसलिये उन्होने प्रवचनसार, नियमसार, पचास्तिकाय जैसे महत्त्वपूर्ण ग्रन्थो षर हिन्दी गद्य मे टीका लिखी श्रौर फिर समयसार एव प्रवचनसार को छन्दो मे लिखकर हिन्दी जगत्‌ को श्रघ्यात्म साहित्य को स्वाघ्याय के लिये सुलभ बनाया । पाण्डे हेमराज के ग्रन्थो का गद्यभाग भाषा के श्रघ्ययन की हृष्टि से बहुत महच्वपूरां है किस प्रकार जैन विद्वानों ने हिन्दी भाषा की श्रपू्व सेवाकी थी इस सबसे इन ग्रन्थो के प्रघ्ययन के पश्चात्‌ भ्रच्छी तरह परिचित हो सकते हैं । वास्तव में हेमराज श्रपने समय के जबरदस्त विद्वान्‌ थे तथा समाज द्वारा समाहत कौव माने जातेथे। पाण्डे हैमराज के श्रतिरिक्त एक दूसरे कवि थे हेमराज गोदीका । वे मूलतः सागानेर य लेकिन कामा जाकर रहने लगे थे । ये भी प्राघ्यास्भिक कवि थे कुन्द-कुन्द के प्रवचनसार पर उनकी श्रगाघश्रद्धा थी । इसलिये उन्होंने भी इसे हिन्दी पद्यो मे गूथ दिया । उनकी दूसरी रचना उपदेश दोहा शतक है । जिसका पूरा षाठ इस भाग मे दिया गया है । हेमराज गोदीका श्रपने समय के सम्मानित कवि थे । इसी तरह उसी शताब्दि मे दो भौर हेमराज नाम के कवि हुए जिन्होंने भी झपनी लघु रचनाश्रो से हिन्दी जगत को उपकृत किया 1 प्रस्तुत भाग मे बूलाखीचन्द के वचनकोश बुलाकीदास के पाण्डवपुराण, हेमराज पण्डे का प्रवचनसार (पद्य), हेमराज गोदीका के उपदेश




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