खण्डहरों का वैभव | Khandharon Ka Vaibhav
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
464
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मुनि कान्तिसागर - Muni Kantisagar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १ ६९ ~
काम श्रा गई) इतिहसिकौ श्रत्मा शस्त्रोकी धारपर
समाधिमे विछीन हो गई। श्रव केवल इतिहासका
भूत मुनिजीके कागजमे चिपटा बा ह!
४. यह 'कश्चपुर है, गोदिया तहर्सालमे-- महाकविं भवमृत्ति्कौ जन्म-
भूमि । यहां खेत-खेतमें जैन-मूतिया मिलती हे।
इतिहांस खेनोमें बो दिया गया है। ध्वसकी फसल
लहलहा रही है !
५. यह शॉगरगढ़ है--सचमच दुर्गमगद़ ! यहाँकी मुर्तियाँ उपकरणोंके
लालित्यके कारण बड़ी सुंदर श्रोर श्रद्धिगीय हे ।
सतीवर्की बात हो सकती थी कि यहाँ इन मूर्तिोंकी
पूजा होती हे। पर लज्जाकी बात है कि श्रहिसाके
श्रवतार, जैन-तीर्वकरकी मूरतिके भ्रागे पूजाके दिनोंमे
प्राज भी! बकरीका बच्चा जीवित गाड़ा जाता है। यहां
द तहास पृजता हे |
२. वहनमसो ह, वन्ध्यप्रदेशकी प्रसिद्ध पुरातत्वभूमि) इसकी मुख्यता
यह है कि इसे जंन-मूतिका नगर कहा जाता ह । बड़े
कामकी है ये मूर्तियाँ। इन मूर्तियोंकी बडी सुन्दर
सीढ़ियों बनती है। भ्रौर वह देखिए्, तालाबपर् टर
धर्वीका हर पाट चिकना-चिकना, मजरूत-मजव्न
इन्दी मूतियोका बना हे । ग्रौर, सुनि मूनिजीकी बात ।
कहते है-- किसरानोके ज्ञौचाल्यमे एकं दजन मू्नियां
मेते उववारई।'' जकषोकौ वात मे कह रहाट! इमी
जसोमे एक तालाब है। इसी जसोमे एक राजा साहब
थे, उन राजा साहबका एक हाथी था। एक दिन
वह बेचारा हाथी मर गया। दूर कहाँ ले जाते, तालाबके
किनारे गाड दिया। जहां गाड वँ एक गडा रह
User Reviews
No Reviews | Add Yours...