ज़िन्दगी यूँ गुजार दी | Zindagi Yun Guzar Di

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Zindagi Yun Guzar Di by प्रेम सक्सेना - Prem Saxena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शुक्रिया भापका हजरात किये. जाता हू आपके प्यार की. सौगात लिए जाता हूँ मैं अकेला हूँ सफर जाते है कितना बानी पर गिरे जाते है परवाज किये. जाता हूँ वक्‍ते रुख़सत है के आंखो मे दपा लो म मुस्कुरा दो के मैं फरियाद किये जाता हूँ आओ सीने से लिपट जामो गले लग जाओ च दम निकल जयि ना, आवाज दिये जाता हूँ हूँ मुखातिव मे तुम्ही से ए हसी दोस्त मेरे मिलते रहना के मैं दरूवास्त किये जाता हूँ कोई शिक्वा ना दिकायत है किसी से भी अज़ीज़ मैं जमाने की वफा साथ लिये जाता हूँ जिदगी यू गुजर दी / 5




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