जैन हितबोध | Jain Hitabodh
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
330
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्र
अथ मंगलाचरणम्.
श्री वीर सद्भाव स्वति )
धीर जीनेशवर सादि घणग्यो, अरेन करं दुं जग धेरि. दे देक,
द्या .चारिथी '; स्नान करीने, संतोप चिवः धारयेः
किक तिलक अति चौ फरीने, भावना.पविन आशरयेर. चीर.
भक्ति केसर कीच करीने) श्रद्धा चंदन भेठीएर; ह
सुगंधी” सद द्रव्य मेठीने, नव ब्रह्मांग” जिन अचीएरे- वीर. २
संमा सुगंधि, सुमन संदामें, हुच्िघ धर्म सोम” युगपरेे। `
ध्यान अभिनवः ° युपण सा, अची अ घर्णु दर्पियेरे- वीर,
अटि मदना त्याग करण सप्, अष्ट मंगक्आगे थापीएरे;
आन. हुताश्चन ^ जनित श्ुमाशषय, कृष्णार ° उलेबीररे, वीर, ४
शुद्ध अध्यात्म ज्ञान चददनिवी,' ** प्राग् धमे ^ * रकण उतारीषे
योग पवतयास करता, नीरानना' ' विधे पूरी वीर. ९
आतम अनुभव ज्ञान स्वरुपी, मंगल दीप मजाली एर
योग तरफ़ शुम दत्य करता, सदन रलत्रयीः › पमीएरे. बीर,
१ भरः, २ व्ल ३ मनोहरः ४ पव्ि्.५-रस, धोठ ६ उत्तम
७ ब्रह्मच रुषं ८ पृप्पमारा, ९ चस युग ,१० अपूव ९१ अभि
१२ उत्तमःधूप १३ अग्नि १३ पूरक अश्चुद्ध प्र १५ आसती; २५
मन पचन अर कायानी सस्ति १६ प्म्यम् देन, ज्ञान
अर् चारः
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