अध्ययन चतुष्टय | Adhyan Chtushtya
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५.
मन गमते ( लद ) मिते हण ( सादीण॒ ) स्वावीन ( भोए )
विपय-सोगों से ( विपिडिकृव्यद ) सुख फेर लेता दे ( य )
धीर (चह) योद रैता दे (से ) वह (हु) निश्चय
से ( चाहत्ति ) त्यागी ( चुच्च ) कद्दा जाता है |
--विपय-भोगों को जो पुरुप छोड़ देता है, चद्दी घसली
त्यागी कदा जाता है। यहाँ टीकाकार पूज्यपाद श्रीदरिमद्रदरिजी
अदाराप फरमाते हैं किन
५ श्मत्यपरिदीणो परि मजे टिघ्ो विपि लोगमाराणि
प्रणी उद्ग भदित्ाश्नो य परिचियतो चाई ति । “
धन धल रादि सामयी से रदित चारितयान् पुरुष यदि
शोक मे सारभूत श्रपी, जल शरीर खी इन तीनों को मर्या
छोड़ दे तो वदद त्यागी कहां जाता है । क्यों कि-ससार में
'अपरिमित घनराशी मिलने पर भी अभी, जल 'गीर स्त्री का
त्याग नष्टौ हतो सकता, श्रवण्य तीनों चीजों को छोडनेयाला
भन छीन पुरुष भी त्यागी ही है |
ायारयादी चय सोगमल्न, कामे कमा कमिय सु दुक्ख ।
विदादि दोप गिणणएज राग, ण सुदी दोदिति सपराए॥५॥
शब्दाथ-{ श्ायाययादी ) ्ठापना ते ( सोगमन्न )
सुकमारपने को ( चय ) छोड़ ( कामे ) विपय यासभा को
( कमादी ) उलपन कर ( खु ) निश्रय से ( दुक्ख ) दुख
का ( कपय) नारा हूष्रा समक ( दोस ) टेप विकार को
( छिंदाहि ? नारा कर ( रागें ) मेमराग को ( विशएज ? दूर
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