शोध पत्रिका | Shodh-patrika

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Shodh-patrika Rajasthan Vishv Vidhyapith Ki Bhag-iii by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजस्थान का एफ प्राचीन नगर १३ ए प्राचीन घावदी य श्रयश्चेप पे दै, उनरो दिलाया । आप से घात चीव फररदैये वीं श्रापक्ते माई गेनमक्लजी सेश्ञात हुआ कि उनके पास पर ताम पत्र दै। मेने उसे मगा कर देखा । चास्तव मे वह एक प्राचीन { ११ वीं शठी- ष्ठा) ताम्र पत्र है। फद्दी २ छुद अक्षर अत्पप्ट रहने से पूरा 'साशय निकाला नहीं ज्ञा सका । पर किमी भीमाली ज्राह्मणु को मद्ाराजाधिराज देव पाल के दान देने दा उसमें “लोग है। इस अवफाश से पढने के लिये ठाप य' फोटो लेना श्राव शयफ था पर चहाँ यद सुमीता नहीं की ना सदी । श्रत बीकानेर आने पर वह साम्रन मगधाया गंदा. सम्मब है सीन करने पर अन्प भी वासर पत्रादि वहा प्राप्त हो जिनसे यद। ऊे सम्दन्व में जुड़ ननी 1 क्ातव्य मिल तके! संठ सिरेस्लनी बढ़े मदर पचुत्ति के सेवा भासी व्यक्ति है । न्दम तमको द्मे मषा ये हि के यन्दिस डिखयाये । ए 1 दूसरे दिस पाठ काल तीन घण्टे फ़ शग बग उन्दनि जाय ताक्ञासादि स्थाना रो दिखने सग गये । शयापहे मथ हसन घूम फिर देसा तो फमें थान स्थान पर प्रॉचीन सम्नायश्प बिसरे हुए सिले । तालाब पर एच दोचार से जैन परिफर का टुकड़ा देखा च महावीर मन्दिर फा सण्डदर भी देखा | छुपेर फी ाधी गडी हुई विशाल मूर्ति भी देसी निसे 'झोमाजी ने ११ चौ शती ी यवला है। ९६ वावडिया भी देसी चौर फोटो के लीषे राखे प्रर गदा हा रक सऊराने पत्थर का शिजासड देगा जिसमें विशाल रोज खुदा हुआ दै। शीकालेख बर्पों से खुले स्थान घ मार्ग में पढ़े रददने के कारण उसके इुछ 'यक्तर, चिम गये हैं। चहुत सा 'अश ठो अध प्रध्धी में गढ़ा हुमा दोने से पढ़ा नद्दीं जा सकता । इस प्रकार श्रीमाल नगर के प्राचीन वशेष स्यान पर पढ़े सप्ट हो रदे हे । $ई टोये परे हें जद्दा भीोल आदि खुदाई सर पुरानी हू टे थादि चिकातते € | एक दे ट मेंने मी सिरेमशनी से प्राप्त दी पर रास्ते में टूट नाने से सग्नायस्था में दमारे कन्ता भवन में रखी हूँ ! घहुत में मन्दिर थ स्पार्कों के पत्थर लोगों ये घरों में नया रखे है । श्रीमासनयर म्यर्‌ का 'कचीनवग और गौरयसाली नगर हैं । इसके उत्थान और पतन के साथ तिष्ठाम दी 'यज्क अष्टिया रु थी हुई है | प्राचीन समय में यह शुरराव की राजयानी रहा है। गौर पीछे से मारयाद शा प्राचीन स्थान । यहा के हवारों नाताण च रौश्यों वे लाल '्रान भारत के ष्यते र में निदास फरतें हैं । क्रीम ली नाएाण घीमात जन व पारवाद श्राद तातियों का मूज-रयान यहीं होने से भी इसका मददरव चहुतत 'धि है। जेना हि ओमाणी से लिया दै 'प्रयरपों पी सार सम्भात के के प्रति सरदार अर जनता के सचेरट ने रहने फे छारण यददीं के व्यने को पतिदा- नक तारत तःव्रपतर, '्रम्लेस, इस्तलिखित अरन्य ण्य सिलास्यापसय फे उत्कृष्ट न अपरोपनाड दो गये य पब मीं होते ला पे हं। यह देय रुर दइय को बड़ी ठेप




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