नयी कला | Nayee Kala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नई कला १५ देना किसी व्यवसायी के लिए. कोई सुखद त्रात नहीं है। में किसी दूसरी दूकान पर नहीं गया । क्या करने जाता मेरी जेत्र में मेरे नोट की जगह मेरे साथी के हाथ का लिखा हुमा एक नोट था, जिसकी इवारत यों थी-- ५१०] २० पले के । ७, रु० बाद के । ५] रु० आज के | २२) रु० जोड़ इस हिसात्र से मैंने तुमसे कुल जमा रर) रुपये उधार लिये । कभी देखा जायगा । रसीद लिख दी कि वकत ज़रूरत पर काम श्राये । घन्यवाद ।” ४ < ~




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