मुगल साम्राज्यका क्षय और उसके कारण | Mugal Samrajya Ka Kshay Aur Uske Karan Bhag-1-2

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Mugal Samrajya Ka Kshay Aur Uske Karan Bhag-1-2 by प्रो. इन्द्र - Pro. Indra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यकयरफ राज्यारोदण ५ -कारिन्दा चना लिया था । उसके दास वैरमने करई अत्याचार आर अनाचार कये; परन्तु अन्तम सन्देदक्षीक मालिकके कोपे सुला शी न यच सका | जो लोग अत्याचारियोके ओख्रार वनते दै, उनकी यही थति होती है। पीर मुद्दम्मद भी आखिर चेइजती- से निकाला गया । उसे चैरमने मक्के जानेका आदेश किया, मानों अकवरकों अपने खानखानानसे छूटनेका मागे दिसलाया ! जब पीर सुदम्मद शुजरातके पास पड़ा था, तव वैरमके आदमियोंने उसे लूटकर बिल्कुल नंगा कर दिया । उख अत्याचार सजाने हाथों हाथ कर्मोका फ पा लिया । अच वैस्सखेकि फिरनेके द्टिष्ट रास्ता साफ़ दौ गया। दीदी चद्‌ नीयेकी खरः जपने खगा ! यद कना कि अकवरने केवल मदम अलसदवति यददकायरम अएकर यैरमस्ते तिरप्ट दिया, लेक नदीं दै 1 यक्वरकेः हृदयम उमंग थी । उसरी {सात्मा चैरमक्ी जजीसेमे देर तक वधी नदी र्ट सकती थी ! अय्य दी चैरमखाँक अत्याचारोंकी अकबर नएपखन्द्‌ करता दोगा एदिकारके यदा नेसे चद अपने चचेरे भार पिज यदुल फासिमक्ो साथ लेफर दिल्ली पहुँचा और राज्यकी यागडोर अपने हाथोमें ले छी । चैरम- श्वाने अपने उस्ताद अघुल तीप वास कटा भेजा कि “सुम्ने तुम्हारी इंमान्दारी और सचाईइका विश्वास था, इसलिए भेने राज्यके सच आवश्यक कार्य तुम्दें सोप छोड़े थे ओर अपनी रखुशीमें मस्त था । परन्तु अब मेने राज्यफी चागडोर अपने दाथमें छेनेका निश्चय छर लिया हे] उचित हे कि अब तुम मक्केफी तीथैयाजापर चले जायो, फयोकरि त॒म यदुत समयस उसफी इच्छा भकट करते जग्ये हो 1 हिन्दुस्तानफे परगनोमंसे पफ फाफी लम्बी चौड़ी जागीर तुम्हारे शुजारेके लिए दे दी लायगी, जिसकी आमदनी तुम्ददरे पजिण्ट तुम्हें भेज देंगे ।* घैरम इस आशाका अभिमाय समझ गया । अधिकास्फे चिद् यादशाइके पास भेज दिय जार स्वये मकेके रास्तेपर रयाना छुआ; परन्तु शीघ्र दी उसका विचार यदछ गया । मार्में विद्ोइफा भूत




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