हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि | Hindi Jain Bhakti Kavya Aur Kavi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि  - Hindi Jain Bhakti Kavya Aur Kavi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about काका कालेलकर - Kaka Kalelkar

Add Infomation AboutKaka Kalelkar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भूमिका ही कि पणम कीं सी सपमा लाम देवत चन्द के रूपमें सही दिया है । प्रत्येक स्थानपर 'रपबन्द ही लिखा है! मम्पारम सबैया में बिका नाम “चह' दिया 1 षव पाग रपचन्दकी इठि तो नही हो सकतों । भम्तम मिखे *टपचस्द सिल्लित केषित्त समाप्य डिसी चिपिकर्तताका काय मी हो सकता है। उसने बन्द के भापारपर रपचका समुमात छमा किया होगा । दूसरे थे प॑ शपकष्व्‌ थे बतारसोदासके सिम मित थ। उन साथ उप्याग्म भमिं तत्छोन रहते धं] रनक पतता उपडग्य हुई है । इन्हाले सी कहीं “चित बा प्रयोग सही दिया है। कप्पाएम धमाके एक पद्ममें भामासित हाता ई हि उसके रचयिता लाहम पे! उठ पद्य की अन्तिम पस्ति ई.. 'भारस्यों अतीत महालासचन्व बेशिय ।. साहअस्दके कुछ एव दिगम्बर अत सलिर बैठक पदमद्हम संकहित हैं। थे बिक्रमकी मटाएगी एताएीक़े कढि थ। किस्तु साम तेर शौर चोदये तवैयोकी अस्ठिम पंक्तियाम 'तेज कहे लिका हमा है । इनसे सिद्ध है कि किन्ही तेज गामकं शेदित इसका निर्माण किया था । मम्पकासीम इन्दी काम्ये तेज शामके कोई कनि सही हुए 1 हो सकता है कि यह कविका शपगाम हो। जिस्तु यह गैबस अगुमान ही है । यदि ठेज उपमाम था हो दो के अतिरिक्त यन्य पामे उसका प्रयाग कया भो हणा । विमूजनबर मामके ममि है जिषे प्राप सते नामके धष्ठमं दप का प्रयोग पिया है। निल्तु इसी आपारपर इसे जिमुइनचस्दक्ी इठि मान संता पृक्ति-सगत तह है । यह मी स्पष्ट हैं कि जिमुषनचस्त्र भप्यातमबादी सहीं थे । इस माँति मध्यारम सबैया'के रच पिताकों रूकर एक घलरग है । मेंरा मठ है कि अबतक इस इति की तीम चार प्रतियाँ दिमिध भष्हाराम उपलग्य महीं हो जाती दिचारक किसी सदी निभयपपर पदी पहन पष्ठ । मम्यदशमेन नमक्ठ कमि 'निपुनिए षयो गो मानि कारे बहीपे। उन्दोत षिधिषियू सिशा-ईता ग्रहभ को था । इसी कारण प्रारमम्मम अन्तक उनम एक ऐसो घाष्यसताओ इयत होते हैं. जिसके परिय्स्यमें उसकी मस्ती सी सुशोमग प्रभात हाती है 1 उतमे बद्‌ अर्हया भौर षड्द्राहट सही हैं, शो बजौर में थी । पोषी पदतबासा पष्रित सक्त ही से हो पाता हो कित्लु असम प्राम्पटोष का नितास्त परिहार हो जाता है पद सच है । बैन कडियोकी शिदफे मिझ-सिघ सायत थे। इजाम्दर आजाप होगटार शादय भकपरये हो दोटा देवर भपडें सापुर्मधरि शामिय घर ऐसे थे। बढ़ापिर ही उनकी प्रारम्तसे सैपर उच्चकोटि तहइवों सिशा होती षौ ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now