व्याख्यानदिवाकर : | Vyakhyandiwakar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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, साधारण जन सुदाय दत नाशकारी प्रान्दोलन से घवरा |
गयां श्रीर श्रपनी श्वपनी जाति मे एस श्रान्दोलन फो मिन |
के लिये उपाय सोचने लगा तथ-नक़ धर्मचीर श्रग्रवाल मार- |
वाड वैश्यौ ने श्रप्रवाल पंचायत का उद्घादन कर विधवा |
विवाह को रोकने की ठान दी।
इसी श्रवसर पर भिन्न भिन्न स्थानौ से हमारे नाम करई |
सदस पत्र श्म श्राश्य के श्रये कि श्राप विधवा विच फे |
विवेचन पर श्रपनी लेष्रनी से कोई वृग्रन्ध लिखे. प्न की |
श्राधिक्यता को देख कर हम भी धधरागये प्रस्त मे इस विपय |
का विवेचन करने छा चिचार् कर सिया ।
. तैयारी के लिये हमने स्वर्गीय ईश्वरचन्द बिद्यासागर |
निर्मित 'चिधवाविचाहएवं वद्रीद््त ज्ञोशीकृत 'विधबोंद्दाद- |
मीर्मालार तथ गंगाप्रसाद् उपाध्याय संकलित श्रिधवा विवाद [
मीस, श्रौर गोखामी राधाचरण किद्ित विधवा विचा
विवरण” इसी प्रकार स्वर्गीय लाला नानकचन्द भूतपूर्वं |
मेनेस्टर इन्दोर संपादित 'विधवातिवाह' प्रभूति संत्रदद पुस्तकें
देखीं; इन पुस्तकों के लेखकों में से चाज बाजकों तो हिन्दी भी
लिखना नहीं श्राता तो सी वेद के घिवेचन पर ट पडे | |
विद्यासागर. उपाध्याय, जोशीजी प्रभूति लेखक तरनी के |
विद्वान् होने पर मौ भति स्मृति केक्षान से म्य हैं | श्राप |
लाग योंरुपीय श्राचरण के भूत से जकड़े गये हैं उसी से देश |
का झरभ्युस्यान मान बैठे हैं इस हेतु से श्राप लोगों को विधवा
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