अन्जली | Anjali

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Anjali by पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी - Padumlal Punnalal Bakshiहनुमन्त सिंह - Hanumant Singh

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी - Padumlal Punnalal Bakshi

No Information available about पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी - Padumlal Punnalal Bakshi

Add Infomation AboutPadumlal Punnalal Bakshi

हनुमन्त सिंह - Hanumant Singh

No Information available about हनुमन्त सिंह - Hanumant Singh

Add Infomation AboutHanumant Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
शाइ--(उठ कर) रमलणो ! तुम कौन हो ? रमणो- मैं भगवान्‌ सोमनाथ को दासो ह । शद-- क्या तुमने हम लोगों को सब बातें सुन लों ? रमणो- हां । शाह--बताओ तो हम कोन हैं ? रमणो--आप गुल्जर के घोर शतु हैं। शाह--(इंस कर) रमणो, तुमने: भल को हे, इम काश्मौर के वणिक्हेैं।..... रमणो--नह्नों साहब, मैं भ्रूलतो नहों ह । आप सुलतान महसूद के भ्त्राट-पुत्र शाइज़ादे हैं और ये रुस्तम । शाह जमाल चमक उठा । सुख मलोन छो गया । वह मणो--नहीं साहब, मैं अकेलो छू । शह जमाल--तुम एक रूपवतो रमणो हो। फिर भो अकेलो यो फिरतो हो रमणो- कुछ आखय कौ बात नहीं डे । गुज्जर खाधोन देश है। यहाँ हिन्दू बसते हैं।. पर-स्त्रो और पर-कन्या को




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now