जीव विज्ञान भाग २ | Jeev Vigyan Bhaag 2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवद्रव्य कला (प्लेज्मा झिल्ली)... , तारक केन्द्र कब :২....4 1 केन्द्रकं गोल्जी অম্ভজঘ- ` 2 धानी <^ ४०). कणिका जौवविज्ञान फैद्फ-अआदरण सूश्रकभिका सतह्‌ पर राहबोसोमों 177 बाली अंतहं व्यी जालिका | जीवद्रव्य कला और अंतद्र व्यी जालिका के बीच की संधि केन्द्रक आवर्ण ধা ভিন্ন নিল 2.1 ख ; सामान्‍य कोशिका की आरेशी परासं रचना । सुक्ष्मदर्शकी (५(४८४:०5९००७५ ) हमारी आँख 100 माइक्रॉन से छोटी वस्तुओं को देखने में असमर्थ होती है। इसका मतलब यह हुआ कि हम अपनी आँखों से 100 माइक्रॉन से कम द्री वले दो बिदुओं को दो सुस्पष्ट विन्दुओं के रूप में नहीं देख सकते इस तरह वे सटे हुए एक धृधले विम्ब के रूप में दिखाई देंगे। बिलकुल नज़दीक के दो बिख्दुओं को दो पृथक्‌ बिन्दुओं के रूप में पहचान सकने की योग्यता को विभेदन क्षमता (1550शा18 00४०7) कहते हैं। इसलिए मानव की आँख की विभेदन क्षमता 100 माइक्रॉन है । यूक्ष्मदर्शी एक एसा यंत्र या उपकरण (ाऽ्प्रापया।) है, करि जव उसमें वस्तुएं देखी जाती हैं तो वह उन्हें आवधित करने (बड़ा करने) के साथ-साथ विभेदित भी कर देता है। लेकिन इस प्रकार से वस्तुओं को देखने के लिए हमें किसी प्रकार की प्रदीष्ति या प्रकाश का प्रयोग करना ही पड़ता है। सूक्ष्मदर्शी द्वारा किया गया यहू विधेदन, इस्तेमाल किए गए प्रकाश के प्रकार पर निर्भर करता ই | আমান” तथा इस्तेमाल किए गए प्रकाश के तरंगदेध्य॑ (४६५७ 10100) के आधे से कम दूरी वाली वस्तुओं की आपस में सुध्पष्ट रूप से पहचान करना प्रकाश-सुक्ष्मदर्शी में सम्भव नहीं है | प्रकाश के दिखाई देने वाले. स्पेक्ट्रम के तरंगर्दर्ध्य का परिसर 40002 से 80000 (वैनोमीदर 551 077 ९ मीटर) तक होता है। यदि 60008” को त्रंगर्दध्य का औसत मानें तो एक प्रकाश-सुक्ष्मदर्शी की विभेवन-क्षमता लगभग 3000 ^° या 0.3 माद्क्रँन होगी । इस तरह प्रकाश-सुक्ष्मदर्शी की भी अपनी स्ीमाएं हैं और इससे हम 0.30 से लेकर 0.25 माइक्रॉन वाली छोटी वस्तुएँ नहीं देख सफते । चूँकि कोशिकाओं के कई भाग बहुत हो छोटे होते हैं इसलिए इलेक्ट्रोन-सूक्ष्मदर्शो के आदिष्कार होने तक इनकी उपस्थिति और संरचना का पता ही ने था। (चित्र 2.1 क) ।




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