गान्ध्ययन | Gandhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पूजा-गीत वंदना के इन स्वरो मेँ एक स्वर मेरा मिका लो। राग में जब भत्त झूलो तो कभी माँ को न भूलो, अर्चना के रत्नकण में एक कण मेरा मिला लो। जब हृदय का तार बोले, शृंखला के बंद खोले; हों जर्हा वलि शीश अगणित, एक शिर मेरा मिला खो। १३ २: गान्ण्ययन `




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