अजेय सेनानी चन्द्र शेखर आजाद | Ajay Senani Chandra Shekhar Ajad
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
249
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कवि-परिचय
परिचयकार : डॉ० चिन्तामणि उपाध्याय
हिन्दी विभाग, माधव महाविद्यालय
विक्रम-विश्व-विद्यालय, उज्जेन
श्री सरल' के व्यक्तित्व मे मानव, अध्यापक, तथा कवि ये तीनो रूप इतने
घुले-म्ले ह कि यह् बताना कठिन है कि इनमे कौन सा रूप अविक उभरा
हुआ है । जो कोई एक वार भी उसके सपकं मे आता है वह् यह दे लेता दै
कि इस व्यक्ति मे इतनी सहृदयता एवं संवेदनशीलता है कि वह दूसरों के लिए
कुछ भी करने तैयार टौ सकता है । अपने अध्यापकीय कर्तव्यो के प्रति भी
इस व्यक्ति मे इतनी निष्ठा है कि उस्ने अध्यापन को जीवन-यापन का साधन
नही वरन् पूजा के समान पावन मानादहै। यदि अध्यापक 'सरल' के पास
कोई निचि है तो वहु है अपने जिष्य-वर्गे की गादवत श्रद्धा । कवि के रूप में
श्री सरल ने उत्कट राष्ट्रीय विचारधारा के सच्कक्त एवं निर्भीक गायक के रूप
में ख्याति अजित की है। उसके प्रत्येक शब्द में देग-भक्ति की भावनाएँ
तरंगायित मिलेगी । राष्ट्रीय भावनाओं के सागर-मंथन मे कवि सरल ने शेप
नाग की पूछ के स्थान पर, उसका फन पकड़ते का ही दुस्साहस किया है
ओर वहु इसका दुष्परिणाम भी मृगत रहा है। क्रास्तिकारियों पर कलम
चलाना साँपो के खेलने से कम नहीं है, यह जानकर भी वह यह खेल
खेल रहा है ।
कवि के जीवन वृत्त के समभ्बन्धमे क्या लिखा जाय ? उससे कुदं जान
पाना बहुत ही मुश्किल हैं । उसने अपनी ठीक जन्म-तिथि भी तो किसी को
अभी तक नही बताई है। जो कुछ इधर-उधर से ज्ञात हो सका है, वह यह है--
श्री श्रीकृष्ण सरल का जन्म सवत् १६७८ विण्मे वर्तमण्न मध्यप्रदेश के
गुना जिले के एक चेतनाशील नगर में हुआ है जिसका नाम हे--अशोक
नगर। प्रतिप्ठित सनाछय ब्राह्मण परिवार में उत्पन्न होने के कारण कुछ
सुसस्कार उसे मिले है । अपने बचपन के कुछ दिन श्री सरल ने गाँवों मे बिताए
और प्रकृति के वेभव का आभास किया । वर्षा के दिनो में अपने पश्मुधन की
सपन्नता के लिए इस परिवार को एक ऐसे ग्राव भें झोबड़ी बनाकर रहना
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