मोहन माला | Mohan Mala

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : मोहन माला  - Mohan Mala

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

आर० के० प्रभु - R. K. Prabhu

No Information available about आर० के० प्रभु - R. K. Prabhu

Add Infomation AboutR. K. Prabhu

सोमेश्वर पुरोहित - Someshvar Purohit

No Information available about सोमेश्वर पुरोहित - Someshvar Purohit

Add Infomation AboutSomeshvar Purohit

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
जनवरी . २१ श्वर वड़ी कठोरतासे काम लेनैवाला स्वामी है । वहू अवे अकर किये जानेवाछे त्यागसे कभी संतुष्ट नहीं हौता । -ञुसकी चक्की यद्यपि निश्चित रूपसे तथा निरन्तर गतिसे चलती रहती है, किन्तु अुसकी गति अतिशय धीमी होती है। और जीश्वर जल्दबाजीमें किये जातनेवाले प्राणत्यागसे कभी संतुष्ट नहीं होता। वह शुद्धतम वलिदानकी मांग करता है। अिसलिओे आपको और मुझे प्रार्थनाकी भावनासे, नम्र भावसे, दृढ़तापूर्वक काम करते रहना चाहिये और जब तक औदवरकी कृपासे जीवन ठिका रहे तब तक जीवन जीना चाहिये । यं. जि., २२-९-'२७ * । | जनवरी २२ ओीरवर अच्छी ओौर बुरी सभी वातोंका निश्चित लेखा रखता है । भिस पृथ्वी पर अससे अच्छा दूसरा कोओ मानवके अच्छे-वरे कर्मोका हिसाव रखनेवाला नहीं है। है, २१-९-र४ जनवरी २३ . ओश्वर यदि परिव्तनहीन ओौर अटल जीवित नियम न होकर कोओ स्वच्छन्द व्यक्ति होता, तौ वह अपनी क्रोधाग्निमें जैसे सव लोगोंकों जलाकर नष्ट कर देता, जो घर्मके नाम पर जुसे ओर आअुसके नियमको माननेसे जिनकार करते हैं। यं. जि. ११-७-२९ | जनवरी रे | ओऔश्वर अपने भक्तोकी पूरी पूरी परीक्षा करता है, परन्तु जुनकी सहन-शक्तिसे बाहर कभी नहीं। जो अग्नि-परीक्षा वह्‌ अपने भवतोंके लिओ निर्धारित करता है, असमें से पार होनेकी शक्ति भी वही सुनहर देता है। यं. नि. १९-२-२५ ११ ,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now