पहिये की धुरी | Pahiye Ki Dhuri
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)গু
तो प्रत्येक विचारशोल व्यक्ति उसके सामने नत-सस्तक होगा । छोक-
मंगल राष्टर-मंग का अविकरु अनुवाद है । हर उषा एक नवीना
लेकर आवी दै। काकार उसका सदर्थं देखकर आत्मविभोर
हो जाता है, और अपने कल्पना-पट पर उसका आलोक उतार छेता ह ।
सर्जन को इस पचिन्न-प्राणबंत बेला में कछाकार अपने ही देश की मिट्टी
पर, अपने ही देश के आसमान के नीचे रहता है, और अपने ही देश के
चरणों पर अपनी करा के फूल चढ़ाता हैं। स्वाभाविक होने के अतिरिन््द्
यही समर्याद और उशोमन भी साना जायगा। थदि कोई इसे विसंगत
कहे, तो झुझे सोचना पड़ेगा कि थुगवाद प्रणस्य है ज्थवा देश की
` अंतरात्मा का चिर-सत्य; प्रचारात्मक आलोचगा के परिधान में बेधडक
ब्ूमनेयाल्ली वणिक्-बुद्धि प्रणम्थ है अथवा संस्कार-मूलक संकल्प ।
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