भाषण-सम्भाषण | Bhashan-Sambhashan

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Bhashan-Sambhashan  by देवनाथ उपाध्याय - Devnath Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्यों बोले १ ২ ৬৮৯৮৮ लगा । लोगों ने उसे रोका पर न माना। फिर जमीन 4 उसके ऊपर एक गदा रख दिया श्रौर उस पर दो-तीन श्रदिमी ददः ইউ । चिल कव माननेवाला था । वह उठ बैठा और फिर बोलने लगा । हिब्लर खूब बोलता था। रोज आठ-दस सभाओं तक में भाषण दे आता था। सुर्सोलिनी के बारे मे कहते हैं कि रात को वह बिस्तर में पड़े-पड़े दूसरे दिन के भाषण को तैयार करता था। कभी- कमी बड़बड़ा उठता था | उसको माँ समझती कि उसे कोई बीमारी हो गई है। मुस्तफा कमाल पाशा १६२७ में लगातार ६ दिन तक का प्रति दिन ७ घंटे के हिसाब से बोलता रहा। सफल वक्तारो काला कारय-क्रम रहा है। क्या आप भी सफल वक्ता बनना चाहते हैं ? आप का कार्यक्रम क्‍या है ?




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