संतों के धार्मिक विश्वास | Santon Ke Dharmik Vishwas

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Santon Ke Dharmik Vishwas by धर्मपाल - Dharmpal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची १७ साध्यं-- नीचहुं ऊच करे'-विपदा हरे-दर्शन-माया से रक्षा-जीवनमुक्त- भव-पा र-बेगमपुरा-यम से रक्षा-अयोनि-प्रम रपद-ब्रह्म-रसपान-द्वे त' अभावपुर्ण- ऐक्य-भक्ति (नाम) साधन होते हुए भी साध्य । साधन--भगवत्कृपा-भक्ति-भक्ति का स्वरूप-अनन्य भक्ति-ताम-महत्त्व- जप--स्म रण--ध्यान--मन वश में--सत्संगति--सत्कर्म--झान-सेवा-साधना-पद्धति- अष्टांग-साधना-प्रार्थंना-संयोजक सत्गुरू । ग्रवरोधक शक्तियाँ--माया--विकृत मन--विषय--ई द्वियाँ--क्रा म--का धिनी- कंचन-सांसारिक सम्पत्ति-संबंध मोह-“अहं -दुगु ण एवं दुष्कमं-निदा-बाह्याडम्बर- तीर्थयात्रा-स्नान-पूजा-दान-स्मृति-अव ण-देवालय, धर्मशाला निर्माण आदि- अविद्या । सामाजिक मसान्यताएं--सामाजिक जातीय स्तर पर काय-कबीर का सहयोग-जात-पाँत का भेद-भाव नहीं-कर्म-व्यवसाय से भाकत का कोई संबंध नहीं- कर्मानुकूल फल्न-प्राप्ति-कममण्य-जीवन-कथनी-करनी में एकता-जीव की सतक करना-वेद विचार-ज्ञान का महत्त्व एवं सहयोग- संतो के संत-हरिजन गांधी-वाणी निष्कर्ष-अनुभूति सार । '३-धन्ना -- जीवन-वृत्त-साहित्यिक परिचय-तये पद-उसकी विचारधारा । ४-सैन -- ऐतिहासिक जीवन-साहित्यिक परिचय-म राठी के पदों के विचा र- ग्रंथ! में शरारती । , ५-पीपा--व्यक्तित्व-जी वन-वृत्त-'ग्रंथ' के बाहर की वाणी-'ग्रथ/ का पद । ६-सधना --व्यक्तित््व-नया पद-'ग्रंथ” का पद । षष्ठ भ्रध्याय (३४०-२३७७) महाराष्टो संतो के धार्मिक विद्वास नोर्मदिव - व्यक्तित्व-जीवन.वृत्त-साहित्िक परिचय । तामदेव की विचारधारा ब्रह्म -- उसका महत्त्व-अ्नंत साम्राज्य-बेअत महिमा-निराकार-अनंतरूप- सर्वेव्यापक-सर्वान्तरयायी-अजन्मा, अनादि, अ्रयोति-श्रपार, अनत-पअरतीन्द्रिय- प्रत्येक घट में व्याप्त-सवं सष्टा-पूणां-एक-भात्र सत्य-भक्तरक्षक, उद्धारक एव तारक- दयालु, उदार-धनी तथा एक-मा १ दाता-भक्तो के वशं मे-निरंकार, निरंजन तथा निरबान । सृष्टि-- कर्ता ब्रह्म-उसी का विस्तार-पारत्रह्य कौ लीला-नियंता भी वही- रचना क्रम-माया-नहवर संसार व सांसारिक सम्पत्ति-विश्व उसी का प्रासाद-मात्र। जीव -- ब्रह्मोत्पन्न-उसी का प्रसार-भिन्‍न रूप-अनंत-ब्रह्म के बश मे-संत का स्वरूप-जीव कु जीवन-ठाकुर का दास-निजरूप-अभेद-ऐक्य । साध्य- भक्तो का भी भक्त-नामदेव का न्नाम ही देव” (नाम की साथंकता)--नाम (भक्ति)~-भव-पार--यम से रक्षा--अंत.अनुभूति--गोविद-प्राप्ति-




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