संकेत | Sanket

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Sanket by आचार्य शिवपूजन सहाय - Acharya Shiv Pujan Sahay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शांति कपोत में राजा शिवि के बदले दिव चला गया भाई - गगा प्रसाद श्रीवास्तव की कविता हम जीते हैं? से जिन्दगी को चगुलो में जकडे की जगह जिन्दगी की चगुल्तों से जकडे छुप गया जिससे पक्षि का अथ हीं बदल गया । श्रौर भी अशुद्धियाँ होगी उनके लिए हम क्षमा प्रार्थी है । हिन्दी प्रदेश के विस्तार को देखते हुए यदि सकेत एक हजार प्ृष्टो का भी निकलता तो भी सब सादित्यकारों की कृतियो को ससमो पाना श्रसम्भव होता । इस सीमा को तोड पाना सम्भव न हुझा। सहयोगी साहित्यिको ने जिस अपनापे से इस में योग दिया सच मुच वहीं इस की एकमात्र निधि है । पाठक इस में न केवक्त अपने परिचित श्र प्रतिष्ठित लेखक पायेंगे वरन उन्हें सशक्त श्रौर नये युवा स्वर भी मिलेंगे। व्यक्ति के स्वर के साथ ही दमने तत्व को प्रमुख माना है श्र वही इस सकलन की वाणी है । प्रकादाक के नाते कौशद्या जी को इस योजना में ख़ासी परेशानी उठानी पडी पर जिस प्रकार उन्होंने सदयोग दिया उसके लिए हम ाभारी हैं । -सम्पादक




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