बहन को सीख | Bahan Ko Sikh

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Bahan Ko Sikh by मुकुटबिहारी वर्मा - Mukut Bihari Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तुम क्‍या पढ़ोगी ? ११ श्रावाराग्दी का जीवन बिताते हुए ही रहना पड़ता है । इसका नतीजा जो भी हो सकता है वह श्राज हम सबके सामने है । द शिक्षा का मतलब हे, श्रपना विकास--श्रपनी बोद्धिक श्रौर मानसिक शक्ति को इतना बढाना कि जिससे दुनिया में श्रपने कत्तंड्य-कर्मों को बखूबी पहचाना श्रौर उनका पालन किया जा सके | स्त्री या पुरुष हरएक को समभना चाहिए कि दुनिया में वह क्‍यों श्राया है, उस उद्देश्य की पूर्ति उसे केसे करती चाहिए, किस तरह उसे भ्रपना जीवन-यापन करना चाहिए, और किसके साथ किस तरह रहना-बरतना चाहिए । कत्तेव्य का भान होने से ग्रादमी में जिस्सेदारी श्राती है। जिम्मेदारी श्राने पर अपने हरएक कास ओर व्यवहार के लिए श्रादमो को सोचना पड़ता है, अपने हरएक कदम को दुनिया मे सम्हाल-सम्हाल करं भ्रागे बढ़ाना पड़ता है; मतलब ,यह कि उसे संजौदा श्रौर दुनियादार, यानी व्यवहारकुशल, बनना होता है। और, दुनियादार कौन श्रच्छा होता है ? शिक्षा से हमें इसका विवेक होता है । शिक्षा हमें यह बताती है कि दुनियादारी दो तरह की होती है--एक तो सदा दूसरे को बेवकूफ बनाकर, नुकसान पहुँचाकर, या जिस तरह




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