संचार और विकास | Sanchar Aur Vikas

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Sanchar Aur Vikas by श्यामाचरण दुबे - Shyamacharan Dube

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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11 दिेश-वाहनों की' संख्या में ग्राश्वयंजनक वृद्धि की। आज के संदर्भ में सामाजीकरण के स्रोतों के संबंध में निश्चयात्मक ढंग से कुछ कह सकना कठिन हो गया है। परिवार, सम-रुचि समह और सकल के अतिरिक्त दनिक अखबार, पत्न-पत्रिक्राएं रेडियो, सिनेमा और टेलोंविजन भी अपने -संदेशों से उभरते व्यक्तियों को प्रभावित करते हैं। अलग-अलग स्रोतों से आए संदेश हमेशा एक-दूसरे के पूरक नहीं होते। वे एक-दूसरे के विरोधी भी हो सकते हैं। संचार संदेश का यह अन्‍्तर्विरोध यदि ओर कुछ समस्याओ्रों को जन्म' देता है, तो दप्तरी और उससे ज्ञान-विज्ञान के नए सीमांत कौ खोज क प्रेरणा भी मिलती है। यहां यह स्मरण रखना आवश्यक है कि संचार परम्परागत मान्यता को केवेल पृष्ट ही नहीं करता; उनके संबंध में संवाद का आरम्भ कर उनका मल्थांझन करने की स्थिति को जन्म देता है। समय की कसौर्ट! पर कुछ मान्यताएं खरी' उतरती' हैं, पर अनेक इस प्रक्रिया में अवमल्यित हो আলী हैं और उनके स्थान पर नए प्रतिमान' उभरते हैं नई मान्यताएं प्रतिष्ठित होती' हैं । द ४ „च + संचार व्यवस्था का दूसरा मुख्यं उत्तरदायित्व है सामाजिक गतिविधियों कौ निगयनी करना । जब संचार का आधार केवल मौखिक था (या जिनं समाजों मे संचार प्रभौ भी मुख्यतः मौखिक है) उनमें भी वह केवल परम्परा का वहन - हो नहीं करता; वह सामाजिक श्रालोचना को भी. स्वर देता है और इस रूप में सामाजिक नियंतणका साधनं बनता है । ज-संचार के साधन भी, अ्रपनी शली में यही य॑ करते हैं। इस तरह हम पाते हैं कि एक ओर संचार-व्यवस्था यदि शिक्षक का काम करती है तो दूसरी' ओर उप्ते सामाजिकः महानिरीक्षक का उत्तरदायित्व भी ग्रहण करना पड़ता है.। कोई भी' समाज-व्यवस्था अपने आप में पूर्ण नहीं होती, उनके पास हर सामाजिक प्रश्न और समस्या का उत्तर नहीं होता । सामाजिक और मानसिक : पर्यावरण में होने वाले परिवर्तन नए प्रश्नों और नई समस्याओ्रों को जन्म देते रहते हैं, जिनके समाधान परम्परा की परिधि में पा सकना कभी-कभी' कठिन होता है। प्रत्येक समाज के जीवन में ऐसी घड़ियां आती' हैं जब उसे सामाजिक लक्ष्यों और उन्हें पाने के साधनों के बारे में नए सिरे से न्यूनतम सामाजिक सहमति आवश्यक हज है। सहमति का वातावरण निमितं करने मे संचार का योगदान महत्वपूण होता है। जन-संचार के माध्यमों से की' गई चर्चा से स्थितियों और समस्याश्रौं




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