रथ के पहिये | Rath Key Pahiye
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
33 MB
कुल पष्ठ :
395
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रथ के पहिये
-धारण कर लिया है जो पब्लिक बस में बेठकर तेज-तेज़ सलाइयाँ चलाते हुए
स्वेटर बुनती हे--मानों आधुनिक सभ्यता इसी अन्दाज्ञ में नये सपने
बुनती हे |
क्यूरेटर तेज्-तेज्ञ डग मरते हुए कहता हे, “लपक कर आइए | मोहें-
जोदड़ों की सभ्यता बहुत पुरानी भी हे ओर बहुत नदं भी | पुरानी इसलिए
कि यह वाकई पुरानी है और नई इसलिए कि यह आज भी नई मालूम
होती हे | मोहेंजोदड़ों के मकान देखकर इन मकानों में रहनेवालों के बारे
में ज्यादा नहीं सोचना पड़ता ।?
“मोहेंजोदड़ों की क्या बात है {
“जी हाँ, मोहेंजोदड़ों की क्या बात ই 12)
“उन्हें टाउन प्लेनिंग का कितना तजरुबा था |”?
“वाकई |?
“वे रहे दो-दो कमरों वाले छोटे घर | दो मकानों के बीच मै खचि पर
'कुआँ बनाने का रिवाज था जहाँ दुलहने और कँवारियाँ बड़े ठाठ से पानी
लेने आती होंगी | हरेक कुएँ से सटे हुए फश पर अलग-श्रलग गड्ढे बता
रे हैं कि वहाँ पनहारियाँ अपने घड़े रखती होंगी | हरेक कुएँ की मेड़ पर
'रस्सी की लगातार रगड़ से पेदा हुए निशान बता रहे हैं कि एक ही समय
मेँ एक से अधिक स्त्रियाँ पानी खींचती होंगी। गुसलखाने भी मुलादज़ा
हों 12,
“वाह वाह ! ये तों आज भी गुसल की दावत दे रहे हैं |?”
“पक्की चरर परी हुईं नालियाँ देखिए |?”
“वाह वाह | जेसे ये कह रही हों--अभी कल की बात है कि यहाँ
यानी बहता था |;
चलते-चलते क्यूरेटर की आँखें बार-बार यात्री की ओर उठ जाती हैं ।
जेसे वह कहना चाहता हो कि आ्राज तक जितने लोग मोहँजोदड़ों देखने
आये उनमें तुम्हारा दर्जा बहुत ऊँचा हे। क्योंकि पहले किसो ने इतनी
ও
5 &।
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