कलाकार का दण्ड | Kalakar Ka Dand

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kalakar Ka Dand by वृंदावनलाल वर्मा - Vrindavan Lal Verma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about वृन्दावनलाल वर्मा -Vrindavanlal Varma

Add Infomation AboutVrindavanlal Varma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
कलाकार का दण्ड १९ देह सुडौल होगी और जितनी फूलों से सजाई गई होगी देवता उतने दी आधिक प्रसन्न होगे | श्रोलम्पगिरि पर प्रति वर्ष हथ॑ और परिहास की कितनी वर्षा होती है उसका आ्राप लोग अनुमान ही नहीं कर सकते ।? शंख--श्रन्त में--अ्रन्त मे क्या रह जाता है, ययन ? अन्तक-- श्राप ही इसका उत्तर दो तक्ष, क्योंकि हम तो जन्म भर हसते रना चाहते हैं और हँसते हँसते मरना चाहते हैं | बोद्धों की तरह तृष्णाओ्ं से बचने की रट लगा लगाकर प्रतिक्षुण श्रपने को घायल नदी करना चाहते हैं । बौद्ध पर किये गये इस, प्रहार को शख ने पसन्द किया, इसलिये विवाद की धारा को दूसरी दिशा मिलने लगी | शंख' ने कहदा--“यवन आपके यहा लोग कितने बर्ष तक इस तरह ५६ ह॑ च्रौर विनोद का जीबन व्यतीत करते हैं । ग्रस्तक--हमारे यहां जिनके ऊपर देवताशं की अधिक कृपा होती है वे युवावस्था में ही संधार से त्रिदा ले जाते हें# वैसे किसान मजबूर तो बहुत लम्बा जीवन पाते हैं |? शंख-- हमारे यहां इससे उल्टा है | यहाँ देवताओं की जिन पर अधिक इपा होती है वे बहुत जीते है | विष्णु भगवान की मुस्कराहट ओर श्रांखों की मुद॒ता का वरदान यही संकेत करता है । विष्णु की मूर्ति की बात छिंड़ते ही अन्तक को कपकपी आ गई । उसकी स्पष्ट घबराहट को देखकर शंख को सन्तोष हृुश्रा | उसने का; 'जीवन श्रोर मरण दोनों में जो आनन्द है विष्णु की मूर्ति अपोलो की सी देहवाली न होते हुये भी उस आनन्द को विपुलता के साथ प्रदान करती है । ॥ 1 এ পর ঠা রা ~ - ~ -------- -- - ~~~ . ~~~ ~~~ -------~- ~~ -- ---- [1036 {1070 ९०५5 [०४८८ ५16 ০012,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now