कलाकार का दण्ड | Kalakar Ka Dand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कलाकार का दण्ड १९
देह सुडौल होगी और जितनी फूलों से सजाई गई होगी देवता उतने दी
आधिक प्रसन्न होगे | श्रोलम्पगिरि पर प्रति वर्ष हथ॑ और परिहास की
कितनी वर्षा होती है उसका आ्राप लोग अनुमान ही नहीं कर सकते ।?
शंख--श्रन्त में--अ्रन्त मे क्या रह जाता है, ययन ?
अन्तक-- श्राप ही इसका उत्तर दो तक्ष, क्योंकि हम तो जन्म भर
हसते रना चाहते हैं और हँसते हँसते मरना चाहते हैं | बोद्धों की तरह
तृष्णाओ्ं से बचने की रट लगा लगाकर प्रतिक्षुण श्रपने को घायल नदी
करना चाहते हैं ।
बौद्ध पर किये गये इस, प्रहार को शख ने पसन्द किया, इसलिये
विवाद की धारा को दूसरी दिशा मिलने लगी |
शंख' ने कहदा--“यवन आपके यहा लोग कितने बर्ष तक इस तरह
५६ ह॑ च्रौर विनोद का जीबन व्यतीत करते हैं ।
ग्रस्तक--हमारे यहां जिनके ऊपर देवताशं की अधिक कृपा होती है
वे युवावस्था में ही संधार से त्रिदा ले जाते हें# वैसे किसान मजबूर तो
बहुत लम्बा जीवन पाते हैं |?
शंख-- हमारे यहां इससे उल्टा है | यहाँ देवताओं की जिन पर
अधिक इपा होती है वे बहुत जीते है | विष्णु भगवान की मुस्कराहट ओर
श्रांखों की मुद॒ता का वरदान यही संकेत करता है ।
विष्णु की मूर्ति की बात छिंड़ते ही अन्तक को कपकपी आ गई ।
उसकी स्पष्ट घबराहट को देखकर शंख को सन्तोष हृुश्रा | उसने का;
'जीवन श्रोर मरण दोनों में जो आनन्द है विष्णु की मूर्ति अपोलो की
सी देहवाली न होते हुये भी उस आनन्द को विपुलता के साथ प्रदान
करती है ।
॥ 1 এ পর ঠা রা ~ - ~ -------- -- - ~~~ . ~~~ ~~~ -------~- ~~ -- ----
[1036 {1070 ९०५5 [०४८८ ५16 ০012,
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