भारत के देशी राज्य | Bharat Ke Deshi Rajya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बड़ौदा शण्य का इसिदास পপর सी भेजा था। इस उत्सव में सम्सिलित होने के लिये महाराजा ने रेसिडेन्ट साष्टष फो निमत्न्ित किया, किन्तु वे न अये] उस समय रेखिदेव्ट के एदं षर्‌ फनेल फेर थे । इसके पश्चात्‌ मद्दाराजा पर रेसिडेन्ट पर विष-प्रयोग करने का धारोष रखा गया । रेसिडेन्ट ले इस घटला की सूचना मारत-सरकार को भी दे दी । इस सनसनी फेलानेवाले-समाचार से चारों ओर खलबली मच गई ओर भारत-सरकार ने इसकी जाँच करने के लिये एक कमीशन नियुक्त किया। एस कमीशन सें ६ सदस्य नियुक्त किये गये, जिनमें ३ अँग्रेज और ३ हिंदुस्तानी थे । हिंदुस्तानी सदस्यों में महाराजा जयाजीराव सिंधिया, जयपुर के महाराजा सवाई रांमसिंहनी ओर रावराजा सर द्निकरराव जी थे । यद्यपि महाराजा-सह्हार. राव एक प्रजाप्रिय नरेश न थे, तथापि जनता और हिन्दुस्तान के अन्य खम्भरान्त व्यक्तियों ने उनके प्रति पूरी हसददी प्रकट की । कमीशन के सामने इनकी खुली तौर पर जाँच हुईं | बाइईंस दिन तक इनका केस चला । इसमे सहाराजा की ओर से इंगलेण्ड के सुप्रसिद्ध बेरिस्टर सारजन्ट बेलेन्टाइन आये थे । इन्होंने महाराजा का खूब बचाव किया। बम्बई के सालिसिटसरों और अन्य दूसरे वकीलों ने भी सि० वेलेन्टाइन की सहायता की | ६० स० १८७५ की २३ वीं फरवरी को बड़ौदा रेसिडेन्सी के एक विशाल-भवन में यह जाँच शुरू हुईं जाँच के काय्य में खर दिनकरराव जी ने बड़ी कार्य्य- दच्तता दिखलाई । महाराजा जयाजीराव सिंघिया और सवाई रामसिंह जी ने मी बड़ी दिलचस्पी के साथ काय्य किया | जाँच पूरी हो जाने पर हृरकए सद॑स्य ने भपनी राय भारत-सरक्रार को लिख भेजी । इसमे तीन युरो पियन सदस्यों ने सहाराजा को गुनहगोर ठहराया, किन्तु बाक्की के तीन प्रभावशाल्री देशा-राज्य-सदस्यों ने उन्हें निदोँषी माना । जवे यह मामला भारत के तत्का- लीन वाइसराय लॉड सॉथब्रूक के पास पहुँचा तब वे मिज्न २ रायों को देल यदे असमंजस में पड़ गये | वे इस कमीशन की जाँच के अधार पर महा- राजा के ऊपर किसी तरह का आरोप न रख सके । आखिर सें उन्होंने कुशा- १९




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