भारत के देशी राज्य | Bharat Ke Deshi Rajya
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
40 MB
कुल पष्ठ :
1054
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सुखसम्पत्तिराय भंडारी - Sukhasampattiray Bhandari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बड़ौदा शण्य का इसिदास
পপর
सी भेजा था। इस उत्सव में सम्सिलित होने के लिये महाराजा ने रेसिडेन्ट
साष्टष फो निमत्न्ित किया, किन्तु वे न अये] उस समय रेखिदेव्ट के एदं
षर् फनेल फेर थे ।
इसके पश्चात् मद्दाराजा पर रेसिडेन्ट पर विष-प्रयोग करने का
धारोष रखा गया । रेसिडेन्ट ले इस घटला की सूचना मारत-सरकार को भी
दे दी । इस सनसनी फेलानेवाले-समाचार से चारों ओर खलबली मच गई
ओर भारत-सरकार ने इसकी जाँच करने के लिये एक कमीशन नियुक्त किया।
एस कमीशन सें ६ सदस्य नियुक्त किये गये, जिनमें ३ अँग्रेज और ३ हिंदुस्तानी थे ।
हिंदुस्तानी सदस्यों में महाराजा जयाजीराव सिंधिया, जयपुर के महाराजा सवाई
रांमसिंहनी ओर रावराजा सर द्निकरराव जी थे । यद्यपि महाराजा-सह्हार.
राव एक प्रजाप्रिय नरेश न थे, तथापि जनता और हिन्दुस्तान के अन्य
खम्भरान्त व्यक्तियों ने उनके प्रति पूरी हसददी प्रकट की । कमीशन के सामने
इनकी खुली तौर पर जाँच हुईं | बाइईंस दिन तक इनका केस चला । इसमे
सहाराजा की ओर से इंगलेण्ड के सुप्रसिद्ध बेरिस्टर सारजन्ट बेलेन्टाइन
आये थे । इन्होंने महाराजा का खूब बचाव किया। बम्बई के सालिसिटसरों
और अन्य दूसरे वकीलों ने भी सि० वेलेन्टाइन की सहायता की | ६० स०
१८७५ की २३ वीं फरवरी को बड़ौदा रेसिडेन्सी के एक विशाल-भवन में
यह जाँच शुरू हुईं जाँच के काय्य में खर दिनकरराव जी ने बड़ी कार्य्य-
दच्तता दिखलाई । महाराजा जयाजीराव सिंघिया और सवाई रामसिंह जी ने
मी बड़ी दिलचस्पी के साथ काय्य किया | जाँच पूरी हो जाने पर हृरकए
सद॑स्य ने भपनी राय भारत-सरक्रार को लिख भेजी । इसमे तीन युरो पियन
सदस्यों ने सहाराजा को गुनहगोर ठहराया, किन्तु बाक्की के तीन प्रभावशाल्री
देशा-राज्य-सदस्यों ने उन्हें निदोँषी माना । जवे यह मामला भारत के तत्का-
लीन वाइसराय लॉड सॉथब्रूक के पास पहुँचा तब वे मिज्न २ रायों को देल
यदे असमंजस में पड़ गये | वे इस कमीशन की जाँच के अधार पर महा-
राजा के ऊपर किसी तरह का आरोप न रख सके । आखिर सें उन्होंने कुशा-
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