भारत सावित्री : खंड 3 | Bharat Savitri : (vol - 3)

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : भारत सावित्री : खंड 3 - Bharat Savitri : (vol - 3)

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री वासुदेवशरण अग्रवाल - Shri Vasudevsharan Agarwal

Add Infomation AboutShri Vasudevsharan Agarwal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भारत-साषत्री तृतीय खण्ड $ ६८ ‡ बारहवाँ शान्ति पवं महाभारत के १८ पर्वो में शान्ति पर्व का स्थान सबसे महत्त्वपूर्ण है। वह विस्तार में भी सबसे वडा है। इसमे तीन अवान्तर पर्व ই) राजधर्म १ से १२८ अध्याय, आपडद्धर्म पर्व १५६ अध्याय से १६७ अध्याय तक और मोक्षधर्म १६८ से ३४५३ अध्याय तक है। इनमें भी मोक्षधर्म पर्व के लगभग दो सौ अध्याय प्राचीन भारतीय दर्शन और धमं की बहुविध सामग्री की निधि हैं। अकेला नारायणी पवं ही एक सहस्र रखोको मे है, जिसमे पञ्चरात्र भागवत धमं का सविस्तर वर्णन हैं । उससे पूर्वं के कितने ही अघ्यायो मे काछवाद, स्वभाववाद, नियत्तिवाद, यदृच्छावाद, मूतवाद, योनिवाद आदि कितने ही मतोका जैसा वर्णन है वैसा अन्यत्र बौद्ध साहित्यमें मी प्राप्त नही होता 1 जणा हम कहैगे, इन अध्यायो में प्राचीन भारत के घामिक इतिहास की तीन तहे सुरक्षित है । पहली तह मं विभिन्न तत्त्व-चिन्तको के पृथक्‌-पृथक्‌ मत, उसके अनन्तर दूसरी तह मे सास्य आदि दर्शनो की सामभ्री ओौर तीसरी तह मे नैव एवं पञ्चरात्र भागवत धर्मो की सामग्री ह 1 चान्तिपर्व की दौखी गौर शन्दावली महाभारत के अन्य पर्वो से विशिष्ट है। उस पर विशेष গাল देना होगा । तभी शान्ति पवं मे एवं विशेषतया मोक्षधर्म मे निगूढ अर्थो का विकास किया जा सकेगा ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now