अंतमती | Antmati

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Antmati by प्रेमलता देवी - Premlata Devi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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করণ श्रीमती नंदकीरबाई ८ उर्फ काशी बहिन ) . धर्मपती, स्य० सेढ चुन्नीलाल हेमचन्द्‌ जरीवाले-वस्वई साक्षप्त जावनचारज । बम्ब्रई निवासी महान्‌ धर्मात्मा, परोपकारी ओर वयोबद्ध हमारी ज्येप्ठ भगिनी स्व० श्री० काशीवहिन उर्फ नंदकोरबाई, ( त्रीसाहूमड़ दिगम्बर जैन ) कि जिनके स्मरणार्थ यह ग्रन्थ“ जैन महिछादश ”? के ३३ वें बषके ग्राहकोंको भेठ दिया जाता है उनका संक्षित जीवन परिचय उपयोगी ओर्‌ अनुकरणीय होनेसे यष्टा देना योग्य मालूम होता है । = ~ श्रीमती काडीवष्िनका जन्म सूरतमें चा.इ कल्याणचन्द्र पूनम- चन्द्रके यहां सं० १०२३ में हुआ था ओर आपकी माता आपको १५ दिनकी छोड़कर स्वगंबासी हुई थी तो पिताजी ९ वषकी छोड़कर शिखरजोकी यात्रासे छोटते हुए बनारसमें स्व्रगेवासी हा गये थे अतः काशीवहिनवीो सार सम्दालठ व शिक्षा एमारे यहां एमारे पिताजी श्री किसनदास पुनमचन्दजी कापड़ियाने की थी क्योंकि आप पित,जीके ज्येप्ठ भ्राता थे। काशीत्रहििनकी शिक्षा गुजराती पांचर्बी कक्षा तक हुई थी लेकिन नियमित स्वराध्यायके अनुमदसे आप हिन्दी, मराठी संस्कृत, प्राकृत भी पढ़ खेती थी ओर मक्तामर्‌, ततवाभ, घृत सामायिक्र अतिक्रमण तो आपको जैसे कंगग्न हो गये थे | “-- विदाह -- वहिन काशीवहिनका विवाष्ट बम्बईमें सुट चुन्नीढाल हेमचन्द जरीब्राछे जिनके पिता सेठ हेमचन्द प्रेमचन्द्र-संदूम्तर ( उदयपुर )




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