माता मान्टेसोरी के विचार और विधि | Mata Mantasari Ke Vichar Aur Vidhi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Mata Mantasari Ke Vichar Aur Vidhi by एम. पी. कमल - M. P. Kamalप्रेमलता देवी - Premlata Devi

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

एम. पी. कमल - M. P. Kamal

No Information available about एम. पी. कमल - M. P. Kamal

Add Infomation About. . M. P. Kamal

प्रेमलता देवी - Premlata Devi

No Information available about प्रेमलता देवी - Premlata Devi

Add Infomation AboutPremlata Devi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गरी के विचार आर विधि ्रात्म-केन्द्रित प्रेम माता मॉश्टेसोरी के नाम से कौन परिचित न होगा ? आपने उसके चित्र समाचार पत्रिकाओं और फिल्मों में देखे होंगे । और उनकी शिक्ष विधि की खेल सामग्री भी पाठशालाओं या. प्रदर्शनियों में देखी होगी परन्तु वह समाज में जो क्रान्ति ला रही हैं इसकी महत्ता को कम लोगों ने अनुभव किया होगा | वच्चों के सम्बन्ध में माता मॉश्टेसोरी का वही क्रान्तिका मुक्तिदाता का स्थान है जो इब्राहिम लिंकन का गुलामों के सम्बन्ध मैं, जो कार्ल माकसे का मजदूरों के सम्बन्ध में, और जो रूसो का साधारण व्यक्ति के सम्बन्ध में है। इन विश्व नेताओं ने सनुष्य की कठोरताओं का निर्विवादरूप से खण्डन किया है और अनवचद्य चे्टाओं से मनुष्य से अपने पापों और दोषें को स्वीकार कराया है । मनुष्य समाज इतना तो रब मानने की हालत में है कि हमने गुलामों पर पशुत्रों की तरह बेचने और ख़रीदने का कठोर पाप किया है | हमने मज़दरों के उनके श्रपने पसीने से कमाई हुई रोटी को उनके मुह से छीन लिया है । हमने स्त्री जाति को जो समाज की जननी हे सामाजिक अधिकारों से वंचित रक्खा है । परन्ठु हम में से कितने माता पिता हैं जो तपना यह पाप स्वीकार करने को तैयार हैं कि “हम अपने बालकों पर अअरसणित और कठोर श्रत्याचार करते हैं।” हमारा तो दावा यह होगा कि दस में से प्रत्येक अपने बालकों को स्वयं से झ्रधिक प्यार करता है श्र अपना पेट काट कर उन्हें पालता-पोसता है । भला हम श्रपने बच्चों पर केसे अत्याचार कर सकते हैं ? माता मॉर्टेसोरी आ्रापके दावों के बावजूद भी श्रापके व्यवहार को वालक के सम्बन्ध में अन्यायमूलक बतायेंगी । उनका कथन है कि जिस मानव- प्रकृति से मनुष्य ने गुलामों; मज़दूरों, साधारण व्यक्तियों तथा स्त्रियों के ्न्न्न रथ दा काव्य ् दा 2




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now