क्रन्तिकारी देशभक्त मुसलमान | Krantikari Desh Bhakt Musalman
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.81 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शाह अब्दुल अजीज हाजी इमदादुल्ला
शाह वली उल््ला द्वारा मई, 1731 मे स्थापित वली उल्लाई
सम्प्रदाय या सगठन के उत्तराधिका री, उनकी मृत्यु के वाद उनके
पुत्र शाह अब्दुल अजीज वने । लेकिन इस वीच भारत वर्ष के
राजनैतिक हालात इतनी तेजी से वदल रहे थे कि देश-प्रेम की
वात करना अपराध माना जाने लगा भर ऐसे आदमी को कट्ल
करवा देना या फासी पर लटका देना राज्य सत्ता को पाने,
बहाल रखने के लिए बहुत जरूरी करार दे दिया गया था,
इसलिए राजनैतिक एव सामाजिक जागरण के दुत शाह अब्दुल
अजीज, जिनको नज़फ अली खा ने बचपन में ही अधा वना दिया
था, को दी वार ज़हर दिया गया, फिर भी वह वच गए । तब
छिपकली को तेल मे डाल भीर आग मे पका कर उस तेल से उनके
बदन की मालिश करवा उन्हें कोढ रोग का शिकार बनाया गया।
यह सब होने के वावजूद शाह अब्दुल अजीज ने हिन्दुस्तान
की दारुल हरव घोषित कर दिया । यानी ऐसा देश, जिसका
शासन अमानवीय तरीके से काम कर रहा हो, तव सच्चा
मुसलमान उस देश को छोड़कर चला जाए या युद्ध लडकर
शासन के रवैथे को ठीक करे, चदले ।
जाहिर है कि वह उन नवाब, दिल्ली सम्राट और अग्रेज-
शिकजे के खिलाफ थे, जो देश को मनमाने ढग से चला रहे थे,
लूट रहे थे। देश की मासूम जनता का खून पी रहे थे, उद्हे
पशुभ की तरह बांधकर गुलाम वनाना चाहते थे। हिन्दुस्तान
को उन्होंने न केवल दारुल हरव करार दिया, बल्कि देश से
अग्रेजो को निकालने के लिए अपनी सस्था को दो भागों से वाटा ।
एक के जिम्मे देश मे घूम-घूमकर सैनिक तैयारियो का काम था
और दूसरे के जिम्मे प्रवार विभाग, जो घूम-घूम वर अग्रेजी के
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