स्वतंत्रता और संस्कृति | Swatantrata Aur Sanskriti

Swatantrata Aur Sanskriti by डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन - Dr. Sarvpalli Radhakrishnanविशम्भरनाथ त्रिपाठी - Vishambharnath Tripathi

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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन - Dr. Sarvpalli Radhakrishnan

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विशम्भरनाथ त्रिपाठी - Vishambharnath Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शीलता एवं नूतन-अआवश्यकताओं की अलुभूति-क्मता । कमी कभी की सीमा तक॑ जा पहुँचने वाली महती उदारता के साथ इसने अन्य मतों एवं सिद्धान्तों सें थी सत्य का अस्तित्व स्वीकार किया है । ऐसा कभी नहीं कि सिध्यासिमान के कारण इसने दूसरों से शिक्षा श्रहण करने में आनाकानी की हो तथा स्वाचुकूल सिद्धान्तों को न अपनाया हो । यदि हम इस सनोवत्ति को चनाये रख सके तो कहीं अधिक शक्ति एवं विश्वास के साथ हम सबिष्य का मुक्नाविला कर सकेंगे । वहुत जरूरी है कि हम अपने पुराने ज्ञान को पूणता तथा गम्सीरता के साथ पुनः प्राप्त करें बतेमान परिस्थिति के अनुरूप उसे बनायें तथा आधुनिक समस्याओं का माएीय दृष्टिकोण से मोलिक समाधान करें । यदि हमारे चिश्वविद्यालय इस भार को ग्रहण न करेंगे तो कौन करगा ? मुक्ते आशा है कि आन्घ्र विश्वद्यालय के शिक्ष- सीय विपयों में भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान दोगा । कहने की आवश्यकता नहीं कि कलात्मक साहित्यिक तथा ऐतिहासिक सामग्री के आधार पर लिखित लोगों के सच्चे इतिहास को संसार के सामने रखना इसका विशेष कत्तच्य होगा । इस काय में संश्कृत-साहित्य पुराण तथा महाकाव्य बहुमूल्य सहायता दे सकेंगे । मुमे आशा है कि यह विश्वविद्यालय किसी न किसी प्राचीन सापा का थोड़ा बहुत अध्ययन कला भाग के छात्रों के लिये अवश्य ही अनिवाये कर देगा । स्वंत्रता और 2८




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