कृषि - ज्ञान - कोष | Krishi Gyaan Kosh

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Krishi Gyaan Kosh by डॉ नारायण दुलीचंद व्यास - Narayan Dulichand Vyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्द कृषि-ज्ञान-कोष इस पुस्तक की परिशिष्ट संख्या १३ में दिये गए १९५२-५३ के अंक देखें तो ज्ञात होगा कि हमारी उपज लगभग ४७६ लाख टन धान्य की और ८५ लाख टन दाल की हैं अर्थात्‌ बतंमान स्थिति में हमारे पास ४९३- ४७६०-१७ लाख टन घान्य और ९२-८५- ७ लाख टन दाल कम है । स्मरण रहे कि उपर्युक्त उपज में से कुछ भाग हमें बीज के लिए छोड़ना होगा और दालों का कुछ भाग पशुओं को खिलाने के काम भी आता है । ऐसी स्थिति में हमारी उपज जनसंख्या को खिलाने के लिए १७--७--२४ लाख टन ही नहीं बटिंक और भी कम होगी । पशुओं के खाने में जितना अन्न खर्च होता है इसकी गणना करना कुछ कठिन है परन्तु बीज की आवश्यकता की गणना उपर्युक्त परिदिष्ट में दी गई सारणी के १९५२-५३ के आंकड़ों के आधार पर प्रति एकड़ उपज निकालकर तथा बीज की. गणना प्रति एकड़ गिनकर निकाल सकते हें-- उपज मन बीज की दर. बीज के लिए प्रति एकड़ सेर प्रति एकड़ उपज का प्रतिशत गेहूं ७.६४ ४० श्३ चावल ८.५४ १५ ४. जौ ९.६६ ३० ७.८ जुवार रे रूप र.९ बाजरा ३.१६ प्‌ हू मक्का ८.०५ प्‌ उन रागी ६.२३ डे भी १. धान छोंट कर या रोपकर बोते हैं। छींट कर बोने में कई स्थानों एक मन प्रति एकड़ पड़ता है । रोपकर बोने में बीस-पच्चीस सेर लगता में हैं । जापानी रोति से लगभग दस सेर घान काफी होता है ।




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