भूगोल | Bhugol

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Bhugol by रामनारायण मिश्र - Ramnarayan Mishra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामनारायण मिश्र - Ramnarayan Mishra

Add Infomation AboutRamnarayan Mishra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्न्‌ कारण ये लोग सी सबा सौ चर्प तक जीते हैं । चाही दुनिया की खबरें वहां शायद दी कभी पहुँचती हैं । इसका 'अन्दाजा इस चात से लग जायगा कि वहां के पादरियों ने भविष्य वाणी की हूं कि जर्मनी चहुत्त शीघ्र इश्वर को सत्ता मानने वाला भूगोल देश द्ोगा। इसका कारण ये यह चतलातें [श कि जर्मनी सें एक ऐसा चादशाद शा गया हूं जो बोटरे- घिकों घ्औौर यहूदियों को एक दम खत्म किये डालता है उन लोगों की शांति न भंग दो इसलिये कोई उनको सच यात बताता भी नहीं 1 कनांडा में फसल की कटाइ-मड़ाई प्रेरी में छाजकल कटाई 'यौर मड़ाई का छोटी सशीनों को जगह बड़ी बड़ी मशोनें लगाई गई हैं । कटोई और मड़ाई जल्दी से जर्दी खत्म करने के लिये मशोनों को 'झक्सर दिन में सोलह घंटे काम में लगाये रददना पड़ता है । क्रटाई के दिनों में कनाडा में मज़दूरों की भरमार रहती है । फसल को कनाडा से बाहर ले जाने के लिए फसल तयार होने से पहले ही रेलवे कम्पनी खाली गाड़ियां फसल की खास मस्डियों पर भेजती है। इन्दीं खाली गाड़ियों में दूर दूर से आने वाले सज़दूर भो घिना किराया दिए ही चैठ जाते हैं और जिस स्टेशन पर काम लग जाता है वहां उतर जाते हैं । क्लोवेक, आन्टेरिो; मेनीटोवा और सरकचवास नगरों की तरफ़ से बहुत से मजदूर इसी सरह बिना किराया दिए खाली मालगाड़ियों पर चढ़ जाते हैं । जो मजदूर हर साल आते रहते हैं वे 'अलुभवी होने के कारण अपने साथ धूप का चश्मा रखते हैं । कभी कभी चार पांच सजदूर मिलकर एक मेटरकार खरीद लेते हैं। ये लाग उन जगहों में भी जल्‍दी जल्दी पहुँचले बा जहां रेल नहीं गई है। इस तरह काफो रकम पेदा करने के वाद वे सादर थे डालते हैं और अपने घरों का लौटते हैं दी दि विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी तथा थोड़ी तनखाह पाने वाले शिक्षक भी फसल की कटाई चर मड़ाई में मजदूरी करने श्राते हैं । इस अकार काम करके ये व्पने साल के खच के पूरा कर लेते हैं। इसके लावा बीमा कम्पनी के एजेन्ट, दलाल; व्यापारी लाग और डाक्टर भी वहां पहुँचते हैं । 'और पने -निनी पेशे से फुरसत रद्दने पर मजदूरी करके दुगनी व्यामदनी करते हैं । इसका पूरा ख्याल रक्‍्खा जाता है +कि समय व्यर्थ न चीत्तन पाये। सूर्योदय से अँधेरा होने तक खाना खाने तथा प्राकृतिक शारीरिक 'झावश्यकताशओं के छोड़ कर शेप सब समय काम में लगा रदता है। ंधिरा होने पर मशीनों के बन्द करके घोड़ों के पानी पिलाने तथा मशीनों को दूसरे दिन के लिये ठीक करने के बाद ही मजदूर सोने जाते हैं । साधारणुत: कनाडा के लोग अ्द्धरेजों की तरह शाम को चार चजें चाय रानी नहीं करते । पर इस कड़ी मेहनत के दिनों उनकी ख्ियां चार वजे कुछ नास्ते के लिये लाती हैं और वे क्रमबार नाश्ता करते हैं क्रमबार इसलिये कि काम बन्द न हो । मोसम अच्छा रहा तो सुबद ६ बजे से रात का ९ चजे तक मड़ाई ओर उड़ाई होती रहती है। इस रफ्तार से काम करने पर त्तीन दिन में लगभग २०० एकड़ की फपल उड़ाई जाती है ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now