गुरुकल | Gurukul

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Gurukul by श्री मैथिलीशरण गुप्त - Maithilisharan Gupt

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मैथिलीशरण गुप्त - Maithili Sharan Gupt

Add Infomation AboutMaithili Sharan Gupt

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्र गुरुकुछ तोड़ मरोढ़ उखाड़ पछाड़े बड़े बड़े बडे अज्मड़ । अज्झड़ दब्द में विशारू भारी और सघन तीनों अर्थों का समावेश है । इसलिए वह झाड़ों के विशेषण के लिए लेखक को बहुत ही उपयुक्त मालूम पड़ा । ऊपर सम घरने के सम्बन्ध में छिखा जा चुका है । एक दुसरो पंक्ति और सुनिए-- रपट पड़े की हर गडज्जा में समिट सकता है क्या उपहास ? रपट पढे की इरगड़ा एक कहावत है जो इस ओर प्रसड्ञानुसार कही जाती है । मालूम नहीं और कहीं इसका प्रचार है या नहीं । किसी ढंग से अपनी कमजोरी छिपाने के सम्बन्ध में इसका प्रयोग शेता है । एक जन फिसल कर अचानक पानी में गिर पड़ा । दूसरे देखने वाले कहीं हसी न कर यह सोचकर इरगड़ा-- इर हरे गड़ा कह कर वह स्ान करने का अभिनय करने लगा । किन्तु लोग कब चूकने वाले थे ? कई उठे--अजी यह तो रिपट पड़े की इरगड़ा है ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now