शाही लकड़हारा नाटक | Shahi Lakadhara Natak

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Shahi Lakadhara Natak by कुलभास्कर जन्नत - Kulbhaskar Jannat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्र टश्य रै सेठ -महाराज झवश्य |. राजा-झच्छा झाझो तो देखो [ पानी दिखाया जाता है, चिकनाई ऊपर आती _ हे पं ४... है, तेली रेकता है । 3 [ टेबला कि हक बे जला अपर नर अक १. टरय “२ अगला. महल - [ सहेलियों की 'गाति हुंव प्रवेश 1. गाना अं गददयां मिलज्ञायं वारो सम झूम कं ना ना ना नाचे सारी पाया है कैसा खुशी का ज़ंपाना झाना ज्ांला गाना बजाना, पाई हैं. इमने - सुसदे प्रेमलता बदन कॉमिनो ! मुक्ते तो इल' राज मन्दिर को १४ - कोयाद दिलातो है ।




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