श्राद्ध विधि प्रकरण | Shraddha Bedhi Parkaran 1921
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23.86 MB
कुल पष्ठ :
462
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रादनविधि भरकर सी | एस गाथा में मंगल निरूपण करके विद्या राज्य और धर्म थे तीनों किसी योग्य मजुष्य को ही दिये जाते हैं अत धर्मेके योग्य पुरुषका निरूपण करते हैं ॥ सड़त्तणस्सजुग्गो भददगपगई । नयमग्गरइंतह दटनिअवयणड्िइडविणिदिट्ठी ॥ १ ॥ १ भद्दक प्रति २ विशेष निपुणमति-विदेष समझदार ३ न्यायमागंरति और टूदनिजप्रतिशस्थिति | इस प्रकार के चारगुण संपन्न मनुष्य को स्वज्षोंने श्रावक धर्म के योग्य बतलाया है । प्रकृति याने माध्य- श्वादि गुणयुक्त हो परन्तु कदाग्रह श्रस्त हदय न हो ऐसे मनुष्य को श्रावक धर्म के योग्य समभकना चाहिये । कहा है कि-- रत्तो दुद्ठी मूढो पुव्बंवुग्गादिओ भ चत्तारि । एए घम्माणारद्दा अरिदों पुण होइ मइ़झथ्यो ॥ १ -+ रक्त याने रागी्र मनुष्य घर्मेके अयोग्य है । जैसे कि भुवनभानु फेवली का जीव में राजा का पुत्र निद्षिडक मत का भक्त था । उसे जैनगुरु ने बड़े कष्टसे प्रतिबोध देकर ट्रदघर्मी बनाया तथापि वह परिखित चयनों पर होने से सम्यक्त्व को वमनकर अनन्त भवोंमें भ्रमण करता रहा । २ द घी भी बाहु स्वामीके गुरुबन्घु बराहमिहरके समान घर्मेके अयोग्य है । ३ मूखें याने वचन भाषाथे का भनजान प्रामीण कुछ पुत्र के समान जैसे कि किसी एक गांवमें रहनेवाले जाटका लड़का किसी राजा के यहां नोकरी करने के लिये चला उस समय उसकी माताने उसे शिक्षा दी कि बेटा हरपक का विनय करना । लड़के ने यूछा माता चिनय कंखे किया जाता है ? माता ने कहा मस्तक झुकाकर जुहार करना । माता का वचन मन में घारण कर बह विदेशयात्राके लिये चल पड़ा । मागमें हिरनोंको पकड़नेके लिये छिपकर खड़े हुये फारधियोंको देखकर उसने अपनी माताकी दी हुई शिक्षाके अनुसार उन्हें मस्तक झुकाकर उध्य स्वरसे जुहार किया । ऊंचे स्वरसे की हुई ज़ुद्ार का शब्द खुनकर समीपवतों सब भाग गये इससे पारथियोंनि उसे पीड़ा । लड़का बोला मुझे क्यों मारते हो मेरी माता ने मुझे ऐसा खिखलाया था पारधी बोले तू बड़ा मूक्ते है ऐसे प्रसंग पर जुफ्बाप भाना चाहिये वह बोला अच्छा अबसे ऐसा ही करूंगा । छोड़ देने पर भागे चला । आगे रस्तेंमें घोबी लोग कपड़े धोकर खुखा रहे थे । यह देख वह मार्ग छोड़ उन्मांगंसे खुफ्चाप धीरे धीरे तस्करके समान डरकर चलने लगा । उसकी यह चेष्टा देख घोबियोंको योरकी शंका होनेसे पकड़ कद खूब मारा । पूर्वोक्त हकीकत खुनानेसे धोबियोंने उसे छोड़ दिया ओर कहा कि ऐसे प्रसंग पर धघोले कनो बनो ऐसा शब्द बोलते चलना चाहिये । उस समय वात की बड़ी चाहना थी रास्तेमें किसान खड़े दुबे लेती बोनेके लिये आकाशमें बादलों की ओर देख रहे थे । उन्हें देख बह बोलने छगा कि धोले बनो उस्वल बनो | पशकुनषी किसानोंने उसे प्लूब ठोका । वहां पर भी पूर्वोक्त घटना सुना देनेसे हबकोंने उसे. छोड़. दिया ओर स्ललाया कि ध्यान रखना ऐसे प्रसंग पर बहुत हो बढुत हो पेसा शब्द
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