विचार - दर्शन | Vichar Darshan श्री शिवचन्द्रजी भरतिय
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30.31 MB
कुल पष्ठ :
815
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीयुत शिवचन्द्रजी भरतिया |
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हिन्दी भाषा के योग्य लेखक तथा कवि श्रीयुत शिव-
चन्द्रजी मरतिया को जन्म सं० १8१० वि० के चेत्र
मास में हैदराबाद राज्यान्तगेत कन्नड शाम में एक प्रसिद्ध
अग्रवाल वेश्य कुल में हुआ था |
बाप के दादा गंगारामजी और पिता बटदेवजी का
परिवार बड़ा पुराना था ओर निवासस्थान जोधपुर राज्य
में डिडवाना ग्राम था । आप के पिता ने बेश्य जाति की
परस्पराचुसार व्यापार वाणिज्य से अच्छी सम्पति
संग्रह करली थी । आप लचपति प्रसिद्ध व्यापारी थे तथा
आप का दूर दूर तक बडा नाम था । अपने ४ शताओं
में शिवचन्द्रजी सब से बडे थे । दिवचन्द्रजी जब छझुछ
बडे हुये तो सब से प्रथम आप को शाप की. मातुभाष!
मराठी पढाई गे । पश्चात संस्क्त की शिक्षा आपने श्राप
की । कुछ शिक्षा पाकर आपने कुल प्रथालुसार
व्यापार को संभाला । बहुत दिनों तक आपने यह
काम 'किया और अच्छी सफलता प्राप्त की । किन्तु शीघ्र
ही आप का आप के बन्घुओं से मसनोमालिन्य हो गया,
जिस के कारण भारतियाजी को यह घंघा छोड देना पडा
वर आपने हेद्राबाद राज्य में वकालत करने का विचार
किया । तैयारी करलेने के पश्चात् वकालत की परीक्षा देने
आप हेद्राबाद गये थे कि पीछे आप के पिता का देद्दान्त
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