तरक्की की राह | Tarakki Ki Rah

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Tarakki Ki Rah by उमराव सिंह कारुणिक - Umrav Singh Karunik

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १६ ) फिलिप ॐ विरद विद्रोह करये ॐ समय से इरेः सिंहासन पर विलियय तृतीय के सिंहासनारूढ़ होने फे समय, तक का युनाइटेड प्राविन्सेज़ का इतिहास भी लिखा था। यह सब फाम चार वर्ष में १७ वर्ष से कम की आयु ही में किया था। हमारे यहां के छात्रों को यह खुनकर अवश्य भाश्चयं दोगा | मिल के पिता ने उसको धर्म विषयंक कोई गस्‍्थ नहीं पढ़ाया था क्योकि उसका ईसाई धमके किखी सी पन्थ पर विश्वास नहीं था | वह चहुध्रा का करता था--यह समस में वहीं आता रि जिस सृष्टि में अपार ढुःख भरे हुवे है उसे किसौ सद शक्ति- मान्‌ तथा दयालु ईश्वर ने बनाया ष्टौ । छोग ष ईश्वर की कल्पना करके उसका पूजन केवलछ परम्परा के अनुसार चलने की आदूत के फारण ही करते हैं, “ हमको किसने बनाया १” इस प्रश्न का यथार्थ तथा युक्ति-सिद्ध उत्तर नहीं दिया ज्ञा सकता | यदि कहा ज्ञाय कि “ईश्वर ने”? तो तत्काल ही दूसरा प्रशक्ष खड़ा हो जाता रै कि “उख ईश्वर को किसने बनाया होगा ?? यद्यपि मिल के पिता ने मिल को धार्मिक शिक्षा देकर किसी मत का अनुयायी बनाने का प्रयत्त नहीं किथा था किन्तु नैतिक शिक्षा देने में किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ी थी। न्याय पर चलता, सत्य बोलना. निष्क्रपट व्यवहार रखना आदि बातें मिल के ईत्परल पर अच्छी तरह जमा दी थीं। मिल पर अपने पिता की उत्कृष्ट शिक्षा का रेखा अच्छा असर हुवा था कि কী कभी मिल अपने पिता के विचारों तक में. भूल निकाल देता था । किन्तु इस बात से उसका पिता रुष्ट नहीं होता था वरन्‌ प्रसन्नतापूवेक भिरुसंकः्च अपनी भूलों को स्वीकार कर रेता था।




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