डॉ भीमराव अम्बेडकर के सामाजिक विचारो का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन | Dr.bheemrav Ambedkar Ke Samajik Vicharon Ka Ek Samajshastriy Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रौ२ उसकी शमस्त कृतियों 18 भा भी फंड फ्राणादड का झध्ययन कर सकते | इसी विज्ञान कौ पहले -पहल श्री कॉम्टे ने शामाजिक भौतिकी और फिर सन्‌ 1838 मैं समाजशाश्त्र की संज्ञा दी । उनके अलुशार समाजशास्त्रीय अध्ययन का ठद्दैश्य ज्ञान विस्तार कै साथ -साथ मानवीय छफ्ताधांधतांगा भी होना चाहिए | इस बात को उन्होने इस प्रकार प्रस्तुत किया है भविष्य वाणी करने के लिए ज्ञान प्राप्त करना और नियन्त्रण करने के लिए भविष्यवाणी करना 10 0०ए फ 0॑दा 10 फधपए घाात ५ फाध्ता0 फा वध 10 ७णापाए भरी कॉम्टे का विश्वास था कि समाजशास्त्रीय अध्ययन द्वारा प्राप्त प्रत्यक्ष ९0अंघ४७ ज्ञान के आधार पर ही मजुन्य के लिए झ्ापनी जटिल शमस्याओं पर नियन्त्रण पाना सम्भव होगा | समाजशास्त्रीय सिद्धान्त के क्षेत्र में श्री कॉम्ट का इक महत्वपूर्ण योगदान उनके क्लारा प्रस्तुत तीन स्तरों का नियम 1.89़5 0 फ़ार९ डघ865 हैं। श्री कॉम्टे ने लिखा हैं सभी शमाणों में शरीर सभी युगों में मानव के बौद्धिक विकास का अध्ययन करने पर उस महान्‌ आधारभूत नियम का पता चलता है । जिसके अधीन मलुष्य की बुद्धि श्ञावश्यक रुप से होती है .... यह नियम इस प्रकार है हमाशे प्रत्येत्ठ प्रमुख अवधारणा हमारे ज्ञान की प्रत्येक शाख्त्रा एक के बाद इक तीन विभिन्न सैद्धांन्तिक दशाओं से होकर कुजरती हैं-धार्मिक अथवा काल्पनिक ५फ%6010छां०॥ 0 उिलापि0प5 झवस्था तात्विक अथवा अमूर्त १वलघफषडं०्या 0... ट 89580 ावस्था एवं वैज्ञानिक ाथवा प्रत्यक्ष इलंडाफिवि८ ण र०अंपिए6 झवस्था। श्री कॉम्टे के झतरुशार समाज इक शामूहिक सावयव 8०लंढ उंड 8 ०016लपंए९ कम _ णटाआ न कि एक वैयक्तिक सावयव फ़ातीसंतशा एाट्टशाएंआ। शौर समाज का थ _. प्रारम्भिक शावयवी शुण है शार्वशौमिक मतैक्य एफ्रांएलाडथा 0ा520508 जिसका मर प्‌ कि छार्थ है समाज के ान्त निर्भरथील भागों में समांजस्य का होना । साथ ही श्री ईद हक क्हॉम्ट युवा की आवश्यक तथा निंरन्तं2 घति 6 60655 का पर




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