बालक के लालन-पालन की कला | Balak Ke Lalan Palan Ki Kala

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Balak Ke Lalan Palan Ki Kala by रतिमानु सिंह नाहर - Ratimanu Singh Nahar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रतिमानु सिंह नाहर - Ratimanu Singh Nahar

Add Infomation AboutRatimanu Singh Nahar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ९११ ) सबसे অতী वर्ठिनाई पठती हू माता पिता का शिशु के मामछे में मतवय ने होना। इस त्रुटि वा उल्लेख प्रारम्भ में ही किया जा चुका है। कही-कही माता कठोर होते देखी गई हू तो पित्ता सरल और दयाल तो कही इसके विपरीत परिम्पिति पाई जाती है। इस स्थिति से बालक यहुत क्षीघ्र परिचित हो जाता ह और जसा कि बताया जा घुका है चह ध्ससे अनुचित छाभ उठाता हैं। अत यह आवश्यक हैं कि माता पिता दोनो मिक कर वाटक के सम्बंध में विचार करें और एक समु- जित नीति का पालन फरें। यदि माता पिता ऐसा नहीं करत हैं तो वे जब कभी भी कोई समस्मा सामने आयेगी तो एक दुसरे से असह- मते भौर इस स्थिति का दुरुपयोग वालक निश्चय रूप से करेगा। बच्चा पद्ा होने पर सबसे बडा उत्तरदायित्व माता के ऊपर भा जाता हैँ जो अब तक विस्कुछ स्वृततन्र रूप से घर-गृहस्थी का काम दिनि मर विना किसी रुकावट के करती थी व उसे बच्चे के कारण झप्टो में फम जाना पढता हू । उसकी नौकरी” बंध गई एक नई जिम्मे- दारी मा गई जिसमें उसे काफी समय दना पडता है। एसी अवस्था में माता भ्वीक्न जाती दै मौर वच्चा उसके क्रोध वा भाजन होता ह। किन्तु यदि माता सावधानी वरते सो एसी स्थिति नही आ सकती । सवेभ्रपम उसे अपन दनिक कर्यो फो नियभेत करना चाहिये । प्रवयेक काय का समय क्रम निश्चित कर छे 1 उसी समय क्रम में बच्चे के पालन-पोषण सम्बधी कार्यों को भी रबखें। कुछ साधारण और अनुपयोगी कार्यों में कटौती कर दे। सिलाई-पुराई में से कुछ समय निकाल छे। इस प्रकार मात्ता मह महसूस करे कि मुझे बच्चे के लिए कुछ समय निका- लना है और वह समय निश्चित हूँ | नवजात शिशु की उत्पत्ति के साथ- साथ आधिक समस्या भी उपस्थित हो जाती हू। बहुघा माता-पिता इस अतिरिकत व्यय को एक सकट समझने छूगते है। कमी-कमी तो वे बच्चे को ही इसका कारण मी समझ वठते ह जो बच्चे के हित में अत्यन्त अछामकर सिद्ध होता हैं। ऐसी अवस्था में माता पिता को अपने दनिक खर्चों में ही कुछ कठौती करनों चाहिये जिससे इस नए खर्च की समस्या का समाधान सरऊ हो जाय | याद परिवार




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now