भारत का सांस्कृतिक इतिहास | Bharat Ka Sanskritik Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारत का सांस्कृतिक इतिहास पहला अध्याय विषय-प्रवेश भारतीय संस्कृति विश्व के इतिहास में कई दृष्टियोँ से विशेष महत्त्व रखती है । यह संसार को प्राचीनतम संस्कृतियों में से हैे। मोहेंजोदड़ो की खुदाई के बाद से यह मिस्र और मेसोपोटेमिया की सबसे भारतीय संस्कृति पुरानी सभ्यताच्नं के समकालोन समभी जाने लगी हे। की महत्ता प्राचीनता के साथ इसकी दूसरी विशेषता अमरता हे। चीनी संस्कृति के अतिरिक्त पुरानी दुनिया की अन्य सभी -मेसोपोटेमिया की सुमेरियन, असीरियन, बेविलोनियन चरर खाल्दी प्रभ्रति तथा मिख, इरान, यूनान ओर रोम की--संस्कृतियाँ काल के कराल गालमें समा चुकी हैं, कुछ ध्वंस-विशेष ही उनकी गौरव-गाथा गाने के लिए बचे हैं किन्तु भारतीय संस्कृति कड हजार वष तक काल के क्र र थपेड़ों को खाती हुईं आज तक जीवित है। उसकी तीसरी विशेषता उसक्रा जगद्‌ गुरू होना दै । उसे इस बात का श्रेय प्राप्त है कि उसने न केवल इस महाद्वीप-सरीखे भारतवष को ही सभ्यता का पाठ पढ़ाया अपितु भारत के बाहर भी बहुत बड़े हिस्से की जंगली जातियों को सम्य बनाया, साइबेरिया से सिंहल (श्रीलंका) तक ओर मडगास्कर टापू, इरान तथा ्रफगानिरतान से प्रशांत महासागर के बोनियो, बाली के द्वीपों तक के विशाल भू-खण्ड पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ा । सवाद्रोणता, विशालता, उदारता और सहिष्णुता की दृष्टि से अन्य संस्कृतियाँ उसकी समता नहीं कर सकतीं । इस अनुपम ओर विलक्षण संस्कृति के उत्तराधिकारी होने के नात इसका यथाथ ज्ञान प्राप्त करना हमारा परम आवश्यक कतंव्य है । इससे न-केवल हमें उसके गुण, प्रत्युत दोष भी, मालूम होंगे । यह भी ज्ञात होगा कि किन कारणों से उसका उत्कष और अपकष हुआ । इसमें तो कोद सन्देह नहीं कि भारतीय




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