परिशिष्ट पर्व | Prishisth Parv

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Prishisth Parv  by मुनि श्रीतिलकविजयजी - Muni Shree Tilakvijayji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ও इस ग्रन्थम भगवान्‌ श्रीमहावीरखामीके बाद उनके पहपर जो जो आदशनीवी पुरुष होगये हैं उन महात्माओंका इतिहास है अथात्‌ श्रीमहावीर भगवानके बाद उनके अन्तिम गणघर श्री सुधमंस्वामी, उनके शिष्प अन्तिमकेवली श्रीजंबूखामी, उनके क्षिप्य पथम श्रुतकेवली श्रीप्रभवखामी, उनके शिष्य श्रीमान्‌ शर्य्यं- भवसूरि, उनके शिष्य श्रीयशोभद्रसरि, उनके शिष्य श्रीभद्रवाहु- सूरि तथा अ्रीसंभूतिविजय, उनके पद्थधारी अन्तिम श्रुतकेवली, श्रीस्घूलभद्रसारि, आदि सत्पुरुषोंकी जीवनचरिया है, मिसमें अ- म्तिमकेवली श्रीज॑बूस्वामीका पवित्र चरित्र १८ कथाओं सहित बिस्तारपूवैक लिखा गया है । मगधापिपति श्रीभरेणिक भूपाले कोणिक, उदायी, नवनन्द, चन्द्रयुप्त, बिन्दुसार, अशोक, कूणाल सथा संप्राति आदि राजाओंकी राज्यप्रणाली, इत्यादि विषयोंका सरल हिन्दी भाषा परिचय दिया गया है । हमे आश। है कि इस ग्रंथकों पहकर हिन्दी भाषा भाषी हमारे जेनबन्धु अपने आभारचीन इतिहाससे परिचित होगे | पुस्तक बडा होनेके भयस इसके “ दो भाग ” किये गये है, अत एवं पाठकोंसे निवेदन है कि इस ग्रंथका “दूसरा भाग ” भी अवश्य पं | श वी. स. २५५३, | श्री आत्म स. २२ विक्र१ स. १९.७६३ ञ्ल गन चदय, । मुनि तिलकत्रिजयजो पजा - जामनगर, | हर नेनश्चाल. |




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