हार या जीत | Haar Ya Jeet
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
447 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला भाग
2१.
“उसके न माँ है, न बाप है | उसे कैसा लगता होमा १ पिताजी,
ऐसे लड़कों को मदद के लिये कोई इन्तजाम नहीं हे क्या १
०कालेज में फीस माफ हो सकती है। प्रिन्तिपल ने माफ कर देने
का वचन दिया है ।”?
सरला अपने पिता प्रोफेसर शंकर मेनोन को माता माधवरी अम्मां के
साथ देवेन्द्र के बारे में बातें करते सुनकर उपयुक्त प्रश्न करने से रुक
नहीं सकी | पिता से देवेन्द्र की स्थिति का वर्णन सुनकर उसके दृदय में
एक सहज सहानुभूति पैदा हो गई थो।
देवेन्द्र एक विद्यार्थी है। उसने प्रोफेसर मेनोन से प्रार्थना की है कि
वे उसके लिये कहीं ट्यूशन का इन्तजाम कर दें। उसके लियेन तो
रहने का ठिकाना है, न भोजन का प्रन्ध | जब वह बहुत छोटी उम्र
का था, तभी उसके पिता का देह्वान्त हो गया था| माँ मेहनत मजदूरी
करके उसे पढ़ा रह्दी थी | दो साल पहले वह भी चल बसी । उसके
बाद उसने ट्यूशन करके अपना काम चलाया और एम०एस०एल०्सी०
परीक्षा पास की । अब अपने गाँव से आकर कालेज में भर्ती हो
गया है।
प्रोफेसर मेनोन, माधवी अम्माँ और सरला के बीच देवेन्द्र के बारे
में कुछ देर तक बातें होती रहीं। माघवी अम्माँ की सलाह से देवेन्द्र
; को पार्वती अम्माँ के यहाँ उनकी पुत्र। लीला का ट्यूशन दिला देने का
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