महाराज नन्दकुमार को फाँसी | Maharaj Nand Kumar Ko Fansi

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Maharaj Nand Kumar Ko Fansi by चंडीचरण सेन - Chandicharan Sen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तत्कालीन बंगाल की सामाजिक अवस्था । अनाथ बाह्लिक | मीरक़ासिम की सिंहासनच्युति के कुछ महीनों बाद एक दिन, रात के. समय, सुशिदाबाद के राजमहल स कोस भर की दूरी पर, एक दुवले घर में बठे हुए दो व्यक्ति परस्पर वात्तोलाप कर रहे थे | ` ভীনা व्यक्तियों में से एक व्यक्ति की अवस्था अनुभव से पतालीस अथवा पचास बरस के लगभग होगी । इसके : परिधेय बस्त्र बड़े सुन्दर, सुसज्जित और मूल्यवान थे । वेशभूषा ओर आकार.प्रकार से यह कोई प्रधान राज-पुरुष . प्रतीत होता था + मे क ও মি 2“ সি ५ নী, পে रु টা ১ ৪ এ




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