महाराज नन्दकुमार को फाँसी | Maharaj Nand Kumar Ko Fanshi

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Maharaj Nand Kumar Ko Fanshi by चंडीचरण सेन - Chandicharan Sen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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11 अनाथ बालक फापगराः घक ५. टेंठ--नीच कहीं के मिवास्‍्तर्व में तुम्दारा अन्तरात्मा |गगिक -मंसा सलिन 'हो रहा।हैलत केसे। &ुख-क्री)बात ।है// शास्त्र के गृह]तत्व को “सममनि/में तुम “तनिकयस्स्॑थ” नपहुकत । तुम्हारे 7साथ। अधिका घावचीत: क्रके सें.“अर्पना 7सशय ध्य॑र्थ नष्ट सहीं।करना !वाहता 5! “अस्त्रद्दीन अवस्था ममें-शब्रुन्पत्त के आदस्ियों -का-प्राण-नाश करबईमीरक्रांसिम्म ने?नितान्ति कार्गरों 1क्रा। काम +किया;और हअपने ,ज्ाम फ़ो कलक्कितेः कर बलिया 'वा्प्रथम--मने स़ाना + कि / मुझे शास्त्र; का जात नही $ परेत्तु आपके :उपदेशासुसार चलऊर “मीरक़ासिम क्ा- दौऩ उर्साम्मगी इआ। ,६ तप वह कर हा ४ ४ वर्ष ४ ऋ शदध-- मीरकासिम, क़ा:/बढुत: कुछ >म़्ी [हुआ । क्या तुम्हें मालूम लद्दी [कफ मोरकासिस्त कौन थाह्ति ःरसिंहांसनोसीन होने क्े-पदले-मारक्राप्तिस भी पिराज-भऔर 3सीरजाफराही।की तरह; नरपिशाब्ुद्न्‍रधार॥ यदि,,ऐसा नाएहीता;तो बह) अंपने मसुर की हत्या कसके-राज्प-प्राप्त केरने।फी चेष्टा क्यों करता परन्तु मिदासनाम़ीन।होनेकके बाद एसनेःअपनि- सारे! जीवन में मेरे जिस एक उपदेश , का :प्रतिपालन किया है;1उसी/के कारण परलोक में निश्चय 'ही उसे सदगति भाप्तहोगी', बगाल के, इतिद्वास 7में -चिरफालहुतक्राम्डसझों नाम 'स्वर्णाक्षरों में ख््धित (रहेगा, भावी वशज उसके जीवन के समत्त कलर को भूल :जायगे८ ससार मे -चह-एक-प्रेजा-दितपीः राजा प्रसिद्ध होगा, उप्तक नाम, का झ्लरण आते दी क्या हिन्दू त्याः मुसिलमाम बहाल के समस्त निवासियों के हृदय-में-कृतक्लता को भोत बहने (लगेगा ,। सानव-मीवन मे इस्रेंडी;अपेक्षा विशेष चाछ- नीय,और ,चय्मा है. १5 न्याय का 'राग्य” ह्यापित करनेाक्ि लिए संत्य की आधिपत्प जमाने पेन लिए जो « मलुप्य प्राण




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