हजार पहेलियाँ | Hajar Paheliyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.14 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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कक कक कस कक कक अकबर रनस पयनिथिसमम्वय
९६७--चस्ती छोटी घर घने, यसे भरमा लोग।
आये कौ आदर करें, नहीं रन के योग ॥
शुदद८--तिल देख तिलाव देय, तिल का चिस्तार देख ।
डाढ़ी को घढ़ाव देख, छाया को रुकाव देख ॥
१६४-जरा सा ल्ट्फा लाख कमान, घर २ मारे चूढें जवान 1 ...
श७५--खअत्तर पर. पत्थर, पत्थर पर. पेसा।
विन पानों के मदल बनावे, ये करीगर कसा ॥
7७१--रन केथिरी मनहूँं दिन, दिनह बथिरी रात ।
कचन चस्तु ससार में, उदटी जात लयात ॥
२७२--दमसे देखी हैं सज्जन, अर खाई हें स्रात।
चायी दो रघुपति शपथ, कौन वस्तु दे तात ॥
श७३--जरें यरें मेरे पिया, जरें चरें मोददे चैन !
गली गठी डोलत फिरें, कहत रमीले चेन ॥।
इ७४-णमय करण है नाम हमारा रूुप्णच्ण जाने ससारा ।
कुसन में विचरें अविनाणी, कृष्ण नददीं वह हारका नाशी ॥
र७५--पपक सजन का गहरा प्यार, जिससे वे घर २ उजियार |
रु७६-पक नार है दॉत दतीली, पतली डुबली छेल छवीली ।
जब तिसिया को लागे भूख, सखे दंगे चवावे रूख ॥
श७७--पक लदई दो फेंक दई। ५
र७८--मुद्ठी मुट्ठी भूसा खाय, भरी नमेदा सें उतराय ।
श७द--तनक सी चारी वाई, लम्यी सी प्रेछ ।
हि जद्दों जॉय चारी याई, तद्दों जॉय प्रेंछ ॥
र८०-पक कर्पे में घाद हज़ार, पक दजार घुसती पनिद्ार।
२८१--पक और दो करता काम, एक तीन भूपण असिरास 0-
तीन चार है चित्त छुढसाता, चार तीन है प्यास चुझाता 1
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