हजार पहेलियाँ | Hajar Paheliyan

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Hajar Paheliyan by मुन्नालाल मिश्र - Munna Lal Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ष ' इजार पद्देलियोँ पद पं ष कली जि ये अनशन कक कक कस कक कक अकबर रनस पयनिथिसमम्वय ९६७--चस्ती छोटी घर घने, यसे भरमा लोग। आये कौ आदर करें, नहीं रन के योग ॥ शुदद८--तिल देख तिलाव देय, तिल का चिस्तार देख । डाढ़ी को घढ़ाव देख, छाया को रुकाव देख ॥ १६४-जरा सा ल्ट्फा लाख कमान, घर २ मारे चूढें जवान 1 ... श७५--खअत्तर पर. पत्थर, पत्थर पर. पेसा। विन पानों के मदल बनावे, ये करीगर कसा ॥ 7७१--रन केथिरी मनहूँं दिन, दिनह बथिरी रात । कचन चस्तु ससार में, उदटी जात लयात ॥ २७२--दमसे देखी हैं सज्जन, अर खाई हें स्रात। चायी दो रघुपति शपथ, कौन वस्तु दे तात ॥ श७३--जरें यरें मेरे पिया, जरें चरें मोददे चैन ! गली गठी डोलत फिरें, कहत रमीले चेन ॥। इ७४-णमय करण है नाम हमारा रूुप्णच्ण जाने ससारा । कुसन में विचरें अविनाणी, कृष्ण नददीं वह हारका नाशी ॥ र७५--पपक सजन का गहरा प्यार, जिससे वे घर २ उजियार | रु७६-पक नार है दॉत दतीली, पतली डुबली छेल छवीली । जब तिसिया को लागे भूख, सखे दंगे चवावे रूख ॥ श७७--पक लदई दो फेंक दई। ५ र७८--मुद्ठी मुट्ठी भूसा खाय, भरी नमेदा सें उतराय । श७द--तनक सी चारी वाई, लम्यी सी प्रेछ । हि जद्दों जॉय चारी याई, तद्दों जॉय प्रेंछ ॥ र८०-पक कर्पे में घाद हज़ार, पक दजार घुसती पनिद्ार। २८१--पक और दो करता काम, एक तीन भूपण असिरास 0- तीन चार है चित्त छुढसाता, चार तीन है प्यास चुझाता 1




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