ऐतिहासिक जैन - काव्य संग्रह | Etihasik Jain Kavy Sangrah

Etihasik Jain Kavy Sangrah by अगरचन्द्र नाहटा - Agarchandra Nahta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1১ दासज्ञी सेठ “न्याय व्याकरणतीथ” ने कर देनेकी कृपा की हे। श्रीयुक्त मिश्रीलालजी पालरेचा महोदयसे भी हमें संशोधनमें पूर्ण सहा- यता मिली हे । श्रीयुक्त मोहनलाल दलोचन्द देसाई 3..4.1..1 ..8. ( वकील हाईकोट, बम्बई ) ने भी समय समयपर सत्परामश द्वारा सहायता पहुंचाई हं । इसी प्रकार कतिपय काव्य उ० सुखसागर- जी, मुनिवर्य रन्लमुनिजी, लब्धिमुनिजी एवं ज्ेसलमेरवाले यतिवय लक्ष्मीचन्दजीने ओर कतिपय चित्र-न्छाक दिल) नाहर, साराभाई नवाब, मुनि पुण्यविजयजी आदिकी कृपासे সাল উহ ই, एतदथ उन सभी, जिनके द्वारा यत्किब्बित भी सहायता मिली हो, सहायक पूज्या व मित्रोंके चिर ऋतज्ञ हैं । निवेदक-- अगरचन्द नाहटा, मंबरलाल नाहदा ।




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