अमर चूनड़ी | Amar Choonadi

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Book Image : अमर चूनड़ी - Amar Choonadi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रूपादट्टी राजां दिनूंगे खाड़ी मे बुह़ारो काठतां यानां ₹ कनां मे मणक पही के मुल्क रै उतराद में হায় चेतम्बौ है। उपरा हाथ मतेई ধদন্যা। पूषटारौ पल्सौ पोर सीः तणीजग्यौ भर उणरी दमे रू भास्यं ने कान मांगणा रानी ताग ग्वा । जेठजी जेवर धन कागद वंघावता हा “” सरव भोपरमा विराजमान अनेक ओपमा सायक भावौसा दुरगजी नें लिसी तेजा रो जय श्री रुनायज री वंचावसी । घणा “”* उत्तराद में झगड़ी चेतग्यौ है अर म्हारी पलटण ने मोरचा মাধ जावण रौ हुक्म मिछपी है। 2“ ग्रामोफोन रेकड रा साडा भे सई मटकीजगरी एदन समाचार उर कांनों में गूंजण लाग्या। पर रा काम-काज सूं निवड़ने उसे जेठूता जबरजी ने पकड़ लियौ। ५८० में विद्ययने षाड करण सागी-- 5 राजां ज्यूं बार-बार




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