धरा ये चन्दन सदृश शीतल राहें | Dhara Ye Chandan Sadrish Sheetal Rahen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वसुन्धरा कल्याणी हिमगिरि के उत्तुंग शिखर से, सागर की लहरों से, नभ रो, गूँजे अभिनव बाणी, मातृभूमि तू. भेन्मभूमि तू वसुन्धरा कल्छणी | दे मातभूमि बन्दन। दे जन्मभूमि वन्दन] वोह पसारे पर्वत माला, चरण पखारे सागर, पवन बुहारे देहरी देहरी, गाये नटवर नागर | गाँव गाँव है नन्दन नन्दन, माटी चन्दन, चन्दन | हे मातुभूमि वन्दन । हे जन्मभूमि वन्दन | शिला समय की कहे कहानी, चरण--चिह बलिदानी | झुके नहीं हैं शीश हमारे ' जाने दुनिया सारी 15




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